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दिल्ली का अपना प्रदूषण, पंजाब में पराली जलाने में आई कमी

दिल्ली का अपना ही बहुत प्रदूषण है। पंजाब से पहले हरियाणा आ जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 10:55 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 10:55 PM (IST)
दिल्ली का अपना प्रदूषण, पंजाब में पराली जलाने में आई कमी
दिल्ली का अपना प्रदूषण, पंजाब में पराली जलाने में आई कमी

जागरण संवाददाता, मोहाली : दिल्ली का अपना ही बहुत प्रदूषण है। पंजाब से पहले हरियाणा आ जाता है। पराली से ज्यादा प्रदूषण तो चंडीगढ़ में होना चाहिए, क्योंकि चंडीगढ़ पंजाब के बिलकुल सटा है।

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पंजाब के उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी ने मोहाली में नवजात बच्चों की देखभाल संबंधी सप्ताह की औपचारिक शुरुआत के दौरान ये बात कही। सोनी ने कहा कि किसान पराली न जलाने को लेकर जागरूक हो रहे हैं, लेकिन किसानों ने अब भी पराली जलाई जा रही है, जिसे रोकने के प्रयास जारी हैं। प्रदूषण को काबू करने के लिए सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सोनी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पडे़ पदों को भरा जा रहा है।

सोनी ने कहा कि पंजाब की एक साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म के पीछे 19 है, जो राष्ट्रीय दर की अपेक्षा बेहतरीन है, जो 31 है। पंजाब में बच्चों की मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी आई है, परंतु फिर भी एक बच्चे की मौत पूरे परिवार के लिए दुखदायी होती है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार का लक्ष्य यह है कि हर बच्चा अपना जीवन जिए, फूले-फले और अपनी पूरी मानवीय क्षमता तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार सभी नवजात बच्चों की सेहत और विकास के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। सोनी ने कहा कि हम उन छोटे कारणों की तरफ भी ध्यान देते हैं जो नवजात बच्चे के विकास और जन्म में रुकावट डालते हैं।

सोनी ने सुनने की शक्ति की कमजोरी के लिए नवजात को स्क्रीन करने के लिए सोहम मशीन लांच की, जोकि खास तौर पर नवजात बच्चों की सुनने की शक्ति परखने के लिए विशेष तौर पर तैयार की गई है। सभी नवजात बच्चों की जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा इस मशीन से जाच की जाएगी। नवजात बच्चों में निमोनिया का पता लगाने के लिए मल्टीमॉडल पल्स ऑक्सीमीटर भी लांच किया गया था, क्योंकि डायरिया के बाद नवजात बच्चों में मौत का दूसरा बड़ा कारण निमोनिया है। इसी के साथ 12 नवंबर विश्व निमोनिया दिवस से 28 फरवरी तक सांस मुहिम की शुरूआत भी की गई है, जिसमें सभी स्वास्थ्य सुविधाएं एवं नवजात बच्चों और पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों में निमोनिया की जांच के लिए गतिविधियां की जाएंगी। उन्होंने मां और बच्चे की देखभाल के बारे में आम लोगों खासकर गर्भवती महिलाओं में जागरूकता की जरूरत पर भी जोर दिया, जिससे नवजात की मौत को रोका जा सके। इस दौरान सेहत विभाग के अधिकारी मौजूद थे।


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