चंडीगढ़ प्रशासन में फेरबदल से फिर अटका दिल्ली सॉल्यूशन, CHB रेजिडेंट्स को राहत मिलते-मिलते रुकी
प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का कार्यकाल भी पूरा होने वाला है। इसको देखते हुए अब यह माना जा रहा है कि राहत का यह मामला फिर फंस गया है। नए अधिकारियों को समझाने और उन्हें इस एजेंडे पर राजी करने में सीएचबी फेडरेशन को फिर से मेहनत करनी होगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (Chandigarh Housing Board) के करीब 60 हजार मकान अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन और अतिक्रमण के जाल में फंसे हैं। इन मकान के मालिकों को यह आस जगी थी कि प्रशासक की रुचि के साथ ही एडवाइजर की सक्रियता से अब उन्हें राहत मिल जाएगी। यह राहत दिल्ली बेस्ड सॉल्यूशन से मिलनी थी। जिसे लागू करने पर प्रशासक वीपी सिंह बदनौर भी रुचि ले रहे थे और सीएचबी के अधिकारियों को इसे स्टडी करने के आदेश दिए थे। लेकिन अब एडवाइजर बदल चुके हैं। सबसे बड़ी बात एडवाइजर ही अब सीएचबी के चेयरमैन हैं। जैसे पहले मनोज परिदा थे।
प्रशासक वीपी सिंह बदनौर का कार्यकाल भी पूरा होने वाला है। दो महीने बाद उनकी रवानगी चंडीगढ़ से हो जाएगी। इसको देखते हुए अब यह माना जा रहा है कि राहत का यह मामला फिर फंस गया है। नए अधिकारियों को समझाने और उन्हें इस एजेंडे पर राजी करने में सीएचबी फेडरेशन को फिर से मेहनत करनी होगी। उसके बाद ही कुछ हो पाएगा। पिछले महीने इस मसले को जड़ से खत्म करने की तैयारी की गई थी। दिल्ली के हजारों रेजिडेंट्स को जिस फार्मुले के तहत यह राहत दी गई थी। उसी फार्मुले पर यूटी प्रशासन भी काम कर रहा था। खुद प्रशासक वीपी सिंह बदनौर इस मामले को सिरे लगाने के लिए रूचि लेते हुए एडवाइजर को निर्देश दिए थे। एडवाइजर ने मामले में मीटिंग भी बुलाई थी लेकिन भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की नाराजगी की वजह से मीटिंग को रद करना पड़ा। उसके दो दिन बाद एडवाइजर मनोज परिदा का ट्रांसफर हो गया। सीएचबी रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन अब फिर जीरो लेवल से नए अधिकारियों को मांगपत्र सौंपकर उन्हें समझाने की कोशिश में लगी है। ताकि बातचीत आगे बढ़ सके।
यह है दिल्ली बेस्ड सॉल्यूशन जिससे राहत की उम्मीद
एफएआर बढ़ाया
इस सॉल्यूशन में फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) बढ़ाया गया, जिससे कवर्ड एरिया लगभग दोगुणा हो गया। इस एरिया में आने वाली कंस्ट्रक्शन को रेगुलराइज्ड किया गया।
वन टाइम चार्ज लिया
एफएआर से बाहर जितनी भी कंस्ट्रक्शन थी इसका वन टाइम चार्ज ले लिया गया। इस कंस्ट्रक्शन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई बिना इस अतिरिक्त कंस्टक्शन को रेगुलराइज किए।
अतिक्रमण का भी चार्ज ले लिया गया
प्लाट एरिया से बाहर जिस एरिया पर अतिक्रमण था उसका भी वन टाइम चार्ज लिया गया। इस अतिरिक्त निर्माण के इस्तेमाल को भी मंजूरी दी गई थी हालांकि इसे रेगुलराइज्ड नहीं किया गया था।
स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट लिया गया
दिल्ली सॉल्यूशन को लागू करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज अलॉटी से लिए गए। इसमें बिल्डिंग ऑनरशिप का सुबूत लिया गया। मौजूदा बिल्डिंग प्लान की तीन कॉपी ली गई। रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट से स्ट्रक्चरल सेफ्टी सर्टिफिकेट लिया गया। यह शपथ पत्र भी लिया गया कि बिल्डिंग पर कोई कोर्ट केस लंबित नहीं है।