दिल्ली की हवा जहरीली, चंडीगढ़ की आबोहवा पर अभी नहीं असर Chandigarh News
पंजाब और हरियाणा में पैडी सीजन है। इस सीजन में पराली जलने से ही एक्यूआइ का लेवल बिगड़ता है। लेकिन इस बार पंजाब और हरियाणा की इस पराली का असर चंडीगढ़ पर नहीं पड़ा।
चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। देश की राजधानी दिल्ली में सर्दी की दस्तक के साथ ही हवा में जहर घुलना शुरू हो गया है। वहीं, चंडीगढ़ की आबोहवा इस बार हर साल की तरह जहरीली नहीं हुई है। रविवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 272 दर्ज किया गया तो चंडीगढ़ का 92 रहा। एक्यूआइ में 0-50 को अच्छा तो 51-100 को संतोषजनक माना जाता है। ऐसे में चंडीगढ़ की हवा अभी संतोषजनक स्थिति में है। जबकि 200 से ऊपर एक्यूआई हवा की बेहद खराब स्थिति को बताता है। इन दिनों पंजाब और हरियाणा में पैडी सीजन जोरों पर है। इस सीजन में पराली जलने से ही एक्यूआइ का लेवल बिगड़ता है। लेकिन इस बार पंजाब और हरियाणा की इस पराली का असर चंडीगढ़ पर नहीं पड़ा है।
बताया जा रहा है कि इस बार पराली जलने के मामले काफी कम हुए हैं। उसका असर है कि हवा पर इसका असर नहीं पड़ा। पंचकूला-मोहाली की हवा भी ठीक चंडीगढ़ ही नहीं आसपास के शहरों की हवा भी पिछले सालों की तरह खराब नहीं हुई है। रविवार को पंचकूला का एक्यूआइ 80 तो रूपनगर का 96 रहा। अक्टूबर से दिसंबर में इन शहरों में भी पॉल्यूशन का स्तर काफी खराब रहता है। दो साल पहले नवंबर 2017 में एक्यूआइ 400 को पार कर गया था। जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। नवंबर के आस-पास पैडी सीजन में पराली जलना ही एक्यूआइ बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है।
नवंबर में बढ़ेगा पॉल्यूशन का स्तर
अभी चंडीगढ़ और आस-पड़ोस के शहरों में एयर पॉल्यूशन का स्तर ज्यादा खराब नहीं है। लेकिन आगे सर्दियों बढ़ने के साथ इसका स्तर भी बढ़ेगा। नवंबर में पॉल्यूशन का स्तर 300 तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। दिवाली के आसपास स्थिति काफी खराब होने का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। नवंबर में स्थिति गैस चैंबर जैसी हो सकती है। बावजूद इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। खेतों में अधिकतर पराली देर शाम को जलाई जाती है। रात को खेतों में आग की घटनाएं दिख जाती हैं। हालांकि पंजाब हरियाणा में पराली जलने के मामले नहीं बढ़े तो हो सकता है स्थिति नियंत्रण में रहे।
पाल्यूशन का एक्यूआइ मानक
0-50 अच्छा, 51-100, संतोषजनक, 101-200 मॉडरेट, 201-300 खराब, 301-400 बेहद खराब, 401-500 बेहद ज्यादा खराब।
एक टन पराली से 1724 किलो जहर
कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो, राख - 199 किलो कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो अन्य जहरीले कण - 3 किलो।