रक्षा विशेषज्ञों ने साइबर हमलों को देश और सेना के लिए बताया सबसे बड़ा खतरा
मिलिट्री लिटफेस्ट के दूसरे दिन पूर्व सैन्य अधिकारियों ने साइबर हमलों को देश और सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। 'देश और सेना के लिए आज सबसे बड़ी चुनौती साइबर अटैक (इन्फार्मेशन वारफेयर) से निपटने की है। इसका खतरा इतना बड़ा है कि इसके नतीजों के बारे में सोचकर भी डर लगता है। एक हैकर दुनिया के किसी कोने से एक कंप्यूटर के माध्यम से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ सकता है। आपके शेयर मार्केट पर असर डाल सकता है, आपके हवाई यातायात को प्रभावित कर सकता है, आपकी मिसाइल की दिशा चेंज कर सकता है। यहां तक कि देश में दंगे भी करवा सकता है।'
मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन 'द न्यू फेस ऑफ वार- इन्फॉर्मेशन वारफेयर' विषय पर चर्चा हुई। इसमें रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आरएस पंवर, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल व दिल्ली स्थित सेंटर ऑफ लैंड वारफेयर स्टडीज के डायरेक्टर विजय ओबराय, रिटायर्ड जनरल एसपी कोचर और लेफ्टिनेंट जनरल संजीव के लेंगर ने विचार व्यक्त किए। सभी ने भारत सरकार से इस क्षेत्र में खासतौर पर ध्यान देने की बात कही।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आरएस पंवर ने कहा कि आज देश को तीन तरह के इन्फॉर्मेशन वारफेयर से खतरा है। इनमें सबसे पहला खतरा 'इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर' से है। इसमें दुश्मन देश आपके सूचना तंत्र को हैक करके आपका डाटा चुरा सकते हैं। आपके कंप्यूटर में वायरस फैलाकर आपके सूचना तंत्र को करप्ट कर सकते हैं। दूसरा 'साइकोलॉजिकल ऑपरेशन' इसमें गलत सूचना फैलाकर देश में आशांति व तनाव पैदा कर सकते हैं। तीसरा है 'स्ट्रैजिक वारफेयर' इसमें इस तरह की सूचनाएं जबरदस्ती परोसी जाती हैं, जिससे एक प्रोपेगंडा बनाकर किसी मैसेज के प्रति आपकी धारणा बदली जाती है।
तैयार करने होगी बेहतर आइटी प्रोफेशनल की फौज
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एसपी कोचर ने बताया कि आज देश को इस तरह के खतरों से निपटने के लिए आइटी प्रोफेशनल की एक बड़ी फौज तैयार करनी होगी। इसके अलावा फौज के साथ लोगों को आइटी सुरक्षा तंत्र के प्रति जागरूक करना होगा। हथियारों के लिए मेक इन इंडिया पर निर्भर होना होगा। तभी हम इन्फार्मेशन वारफेयर से निपट सकते हैं।
अमेेरिका की तरह बनाने होंगे सख्त कानून
दिल्ली स्थित सेंटर ऑफ लैंड वारफेयर स्टडीज के डायरेक्टर रिटा. लेफ्टिनेंट जनरल विजय ओबराय का कहना है कि, यह खतरा इतना गंभीर है कि हमें इससे निपटने के लिए कई क्षेत्रों में काम करना होगा। इसके अलावा अमेरिका की तरह सख्त कानून बनाने होंगे, तभी हम इस तरह के खतरों से निपट सकते हैं।
गौरतलब है कि अमेरिका ने साल 2009 में एक कानून पास किया था कि अगर कोई देश उसके खिलाफ वारफेयर (साइबर अटैक) में संलिप्त पाया जाता है तो यह देश के खिलाफ हमला माना जाएगा। इसका जवाब अमेरिकी फौज अपनी सैन्य शक्ति से देगी।