भागदौड़ भरी जिंदगी में रखें इन बेहद जरूरी बातों का ध्यान, healthy रहने को अपनाएं यह टिप्स
चैन से जीना है तो अपने दिमाग को रात 9.30 से सुबह 4.30 बजे तक आराम से सोने दीजिए। यानि लेट नाइट जगना जिंदगी को बीमारियों से भर सकता है।
चंडीगढ़, [वीणा तिवारी]। चैन से जीना है तो अपने दिमाग को रात 9.30 से सुबह 4.30 बजे तक आराम से सोने दीजिए। यानि लेट नाइट जगना जिंदगी को बीमारियों से भर सकता है। क्योंकि अंधेरा होने के साथ ही दिमाग में नींद का मेलाटॉनिक हॉर्मोन एक्टिव होने लगता है। अगर इस समयावधि को कम किया गया तो मेमोरी लॉस, माइग्रेन, साइकैट्रिक डिसआर्डर और दूसरे न्यूरोडिजिज तेजी से होंगे। भागदौ$क की जिंदगी में दिमाग के सोने का समय कम और गड़बड़ होने के कारण ही न्यूरो के मरीजों की संख्या महज पांच साल में चार गुना बढ़ गई है।
माइग्रेन से सबसे ज्यादा पीडि़त
पीजीआइ न्यूरोडिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. विवेक लाल ने बताया कि नियमित दिनचर्या, सोने और जागने के समय को लेकर बरती जा रही लापरवाही के कारण माइग्रेन की शिकायत कॉमन होती जा रही है। इसके अलावा स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, टीबी, इन्सेफेलाइटिस, एपेलेप्सी भी कॉमन होता जा रहा है। पांच साल पहले तक ओपीडी में माइग्रेन के मरीजों की संख्या 10 होती थी जो अब 40 के पार पहुंच गई है। किसी भी प्रकार का सिर दर्द माइग्रेन की श्रेणी में आता है। इसे रोकने के लिए लिया जाने वाला पेनकीलर साइलेंट किलर का काम कर रहा है। जबकि इसके इलाज के लिए कई सेफ मेडिसिन उपलब्ध हैं।
बच्चों को लेकर हो जाएं सावधान
वहीं डिपार्टमेंट के प्रो. मनीष मोदी मौजूदा वातावरण को बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बता रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चे की सुबह उठने से रात के सोने तक की हर एक्टिविटी उसे बीमार बनाने की ओर अग्रसर कर रही है। फास्ट और जंक फूड लेना, विडियोगेम, मोबाइल और टीवी के साथ ज्यादा समय गुजारना उन्हें अंदर से खोखला बना रहा है। पांच साल के बच्चे सिर दर्द की शिकायत करने लगे हैं। उन्हें माइग्रेन हो रहा है। मेमोरी लॉस के कारण स्कूल में खराब प्रदर्शन उनका विकास बाधित कर रहा है। इससे बचाव के लिए बच्चों का आउटडोर गेम खेलना बेहद जरूरी है। उन्हें संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या देकर ही हेल्दी लाइफ दी जा सकती है।
गर्मी में ओपीडी हुई तीन गुनी
गर्मी बढऩे के साथ ही न्यूरो के मरीजों की संख्या पांच गुनी हो गई है। प्रो. विवेक ने बताया किअप्रैल से ओपीडी 100 से 120 हो गई है, जो अक्तूबर से मार्च तक 20 से 30 होती है। इसका मुख्य कारण गर्मी है। गर्मी से डिहाइड्रेशन, डायरिया और अन्य इन्फेक्टेड डिजीज तेजी से होते हैं। इससे इम्युन सिस्टम कम होता जाता है और हार्मोन डिसबैलेंस होने लगता है। इस असंतुलन से न्यूरो डिजीज एक्टिव हो जाते हैं।
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