कत्थक डांस के साथ हुई डांस फेस्टिवल की शुरुआत
मारो न मारो मोहे पिचकारी कान्हा कत्थक नृत्य के साथ नार्थ जोन कल्चर सेंटर की तरफ से आयोजित किया गया डांस फेस्टिवल।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मारो न मारो मोहे पिचकारी कान्हा कत्थक नृत्य के साथ नार्थ जोन कल्चर सेंटर की तरफ से आयोजित डांस फेस्टिवल का टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में आरंभ हुआ। पहले दिन 75 वर्ष पार कर चुकी प्राचीन कला केंद्र की रजिस्टार डॉ. शोभा कौसर ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीगणेश की वंदना से हुई। जिसके बाद सस्वती वंदना और भगवान श्रीकृष्ण के साथ रासलीला और होली पर कत्थक को पेश किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रकृति के विभिन्न रूपों का वर्णन करने के बाद जयपुर का शुद्ध कत्थक नृत्य पेश किया गया और समापन के पहले तोड़े, टुकड़े, आमद परन कुछ खास पारम्परिक बंदिशें पेश की की गई। शोभा कौसर के कत्थक प्रस्तुति में तबले पर फतेह सिंह गंगानी, गायन पर माधो प्रसाद, मेहमूद खान तबले पर, सलीम कुमार सितार पर, शुभ्रा तलेगांवकर गायशोभा कौसर ने संगीत दिया। गैंगरीन के कटना था पैर, अब दिक्कत के बावजूद दी प्रस्तुति
शोभा कौसर को उत्तर भारत में क्लासिकल डांस शुरू करने की माता कहा जाता है, क्योंकि शोभा कौसर और एमएल कौसर ने 1970 में पहली बार क्लासिकल डांस को करना शुरू किया था। नौ साल की उम्र से शुरू किए क्लासिकल डांस के दौरान शोभा कौसर के जीवन में ऐसा भी समय आया जब मधुमेह के कारण पैरों में गैंगरीन हुआ और पैर कटने की नौबत तक आ गई। शोभा के जुनून और जज्बे ने गैंगरीन को मात दी और आज के समय में पैर में एक प्रतिशत का डिफेट होने के बावजूद कत्थक से लेकर भरतनाट्यम सहित विभिन्न क्लासिकल डांस को पेश करते है। दर्शकों में आया है बदलाव
कत्थक की प्रफोरमेंस देने वाली सोभा कौसर ने बताया कि 50 साल पहले जब क्लासिकल डांस की शुरुआत की तो उस समय दर्शकों को ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन आज दर्शकों की सोच में बदलाव आ चुका है। ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन और अब डाक्टरेट तक क्लासिक डांस में हो रही है जो कि आने वाले युवा कलाकारों के लिए बेहतर उम्मीद है जिसे अपनाकर वह देश की संस्कृति के साथ विश्व में पहचान बना सकते है।