गुरु नानक देव ने दुनिया को दी आपसी भाईचारे की विचारधारा : दलाई लामा Chandigarh News
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि गुरु नानक देव ने दुनिया को विश्व शांति और आपसी भाईचारे की विचारधारा दी।
जेएनएन, मोहाली। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि गुरु नानक देव ने दुनिया को विश्व शांति और आपसी भाईचारे की विचारधारा दी। उनकी शिक्षाएं आज भी सार्थक हैं। उन्होंने मंगलवार को चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (सीयू) में श्री गुरु नानक देव की शिक्षाओं पर आयोजित चर्चा में हिस्सा लिया। दलाई लामा ने गुरु नानक देव के 550 वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में करीब 50 देशों व अलग अलग धर्मो से जुड़े स्टूडेंट्स को धर्म निरपेक्ष नैतिकता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने पश्चिमी तर्ज की आधुनिक शिक्षा के साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर जोर दिया। लामा ने कहा कि हमें बाबा नानक की विचारधारा से सबक लेना चाहिए।
स्टूडेंट्स को संबोधित करते दलाई लामा ने कहा कि गुरु नानक देव जी के उपदेशों ने एक नई विचारधारा को जन्म दिया। अपने उपदेशों व शिक्षाओं के बल पनर उन्होंने 15वीं शताब्दी में विश्व को एक नई दिशा दी। गुरु नानक का फलसफा, उनका मार्ग हर देश के हर समुदाय के उस मानव के लिए है जो सच का साथी है। शांति व मानव एकता का चाहवान है। उन्होंने गुरु नानक की शिक्षाओं को संभालने पर जोर दिया।
नैतिक मूल्यों से दूर हो रही युवा पीढ़ी
दलाई लामा ने कहा कि पश्चिमी तर्ज पर आधुनिक शिक्षा को अपनाने की दौड़ में हम अपने नैतिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आज हमने साइंस, टेक्नोलॉजी व खोज के क्षेत्र में मुकाम हासिल कर लिए हैं, लेकिन अब भौतिक व पदार्थवादी रुझान की होड़ के कारण युवा पीढ़ी नैतिकता से बहुत पीछे रह गई है। लामा ने कहा कि जब वे अमेरिका के अरबपति व खुशहाल लोगों से मिलते हैं, तो पता चलता है कि भौतिकवादी जरूरतों की असीमित पूर्ति के बावजूद उनके जीवन में खालीपन, उदाशीनता व आत्मिक शांति गुम है। इसलिए जरूरी है कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारत की महान नैतिकता की विरासती शिक्षा को लेकर चला जाए।
दलाई लामा का तिब्बती परंपरा के अनुसार हुआ स्वागत
इससे पहले सीयू के चांसलर सतनाम सिंह संधू, वाइस चांसलर आरएस बाबा, प्रो. बाइस चांसलर बीएस सोही व वाइस प्रेजिडेंट डीपी सिंह की मौजूदगी में संस्थान के तिब्बती स्टूडेंट्स की ओर से लामा का तिब्बती परंपरा के अनुसार स्वागत किया गया।
भारत-चीन वार्ता से आएंगे सार्थक नतीजे: दलाई लामा
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि भारत और चीन के बीच हुई ताजा वार्ता के निश्चित तौर पर सार्थक नतीजे सामने आएंगे। कहा कि दोनों देशों के बीच दो पक्षीय संबंधों में हुए सुधार से नई उम्मीदें जगी हैं। उन्होंने कहा कि भारत व चीन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं। इन दोनों देशों का बातचीत के लिए एक मंच पर आना अच्छा है। लामा ने कहा कि वे शुरू से ही बातचीत के माध्यम से ही आपसी मसलों को हल करने की बात कहते रहे हैं। उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के भविष्य में सार्थक नतीजे सामने आएंगे।
व्यापारिक कारणों से भारत-चीन एक दूसरे पर निर्भर
दलाई लामा ने कहा कि व्यापारिक कारणों से दोनों देश एक दूसरे पर निर्भर हैं। एक दूसरे के बिना दोनों देशों का आर्थिक विकास संभव नहीं है। दोनों देशों की अर्थ व्यवस्था के लिए भी यह बेहद जरूरी भी है। लामा ने कहा कि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा चीन के लोगों को बताता है कि स्वतंत्रता के असली मायने क्या है?
पाकिस्तान को भी लेनी चाहिए सीख
पाकिस्तान पर बोलते दलाई लामा ने कहा कि उन्हें भी बातचीत से भारत से अपने संबंध बेहतर करने चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक कारोबार भी भारत से जुड़ा है। लामा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से यूएन में बौद्ध धर्म का उदाहरण देकर शांति की बात करने के कई मायने निकलते हैं। इसके उलट पाकिस्तान की ओर से इस तरह की कोई बात न करना वैश्विक शांति के लिए ठीक नहीं है।
मिल चुके दलाई लामा को ये सम्मान
तिब्बत मुक्ति के अहिंसात्मक संघर्ष के लिए दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो को नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। नोबेल पुरुस्कार विजेता बौद्ध धर्म के 14वें दलाईलामा तेंजिन ग्यात्सो को तिब्बत मुक्ति के अ¨हसात्मक संघर्ष के लिए 1989 में नोबेल शांति पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही उन्हें 2013 में न्यूयार्क के हैरिस इंटरएक्टिव द्वारा किए गए सर्वे में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में भी चुना जा चुका है।
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