अदालत ने Recovery suit case में नगर निगम के कमिश्नर को जारी किया नोटिस Chandigarh News
मेरठ स्थित इवेंट पेराडाइज के दीपक जैन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि पहले तो निगम ने मेला लगाने के लिए उन्हें परमिशन दे दी थी।
चंडीगढ़, [राजन सैनी] दस लाख रुपये के रिकवरी सूट मामले में जवाब दायर करने के लिए जिला अदालत ने चंडीगढ़ नगर निगम के कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। शहर के एक बिजनेसमैन काे नगर निगम ने सेक्टर-34 स्थित एग्जीबिशन ग्राउंड में रोबोटिक डायनासोर पार्क मेला लगाने से मना किया था।
मेरठ स्थित इवेंट पेराडाइज के दीपक जैन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि पहले तो निगम ने मेला लगाने के लिए उन्हें परमिशन दे दी थी जिसके लिए उन्होंने किराये के रूप में 3,71,000 रुपये भी दिए। लेकिन जिस दिन वह सामान लेकर ग्राउंड में पहुंचे तो कारपोरेशन ने उन्हें वहां मेला लगाने से रोक दिया। इससे उन्हें दस लाख रुपये का नुकसान हुआ।
21 दिन के लिए चाहिए था ग्राउंड
ग्राउंड में 23 जनवरी 2019 से 12 फरवरी, 2019 तक 21 दिन मेला लगाने के लिए ग्राउंड किराये पर चाहिए था। इसके लिए चंडीगढ़ म्यूनिसिपल कारपोरेशन भी गए और इसकी फीस भी डिमांड ड्राफ्ट के जरिये पांच अक्टूबर, 2018 को दे दी गई। इसके बाद नगर निगम ने रोबोटिक डायनासोर पार्क मेला लगाने के लिए उन्हें अनुमति दे दी।
इसके बाद 12 दिसंबर, 2018 को चंडीगढ़ ड्यूटी मजिस्ट्रेट की तरफ से उन्हें एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि उन्हें मेला लगाने के लिए एसएसपी पुलिस, चंडीगढ़ और चीफ फायर ऑफिसर, यूटी से एनओसी लेनी होगी। 11 जनवरी, 2019 तक उन्होंने उक्त सभी विभागों से एनओसी भी मिल गई। इसके बाद 16 जनवरी, 2019 को चंडीगढ़ डीसी ऑफिस से एडिशनल कमिश्नर को लेटर आया कि जिस जगह पर यह मेला लगना है, वहां पर पहले ही पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से स्टे चला हुआ है।
स्टे होने की वजह नहीं लगा सका था मेला
22 जनवरी को शिकायतकर्ता ट्रक में अपना सामान लोड करके ग्राउंड पर पहुंच गया और म्यूनिसिपल कारपोरेशन को मेला लगाने के बारे में बताया। लेकिन उन्होंने बताया कि स्टे चले होने की वजह से वह वहां पर मेला नहीं लगा सकते।
संजय की शिकायत है कि इन सबमें उनका काफी नुकसान हुआ जो कि दस लाख रुपये का है। बताया कि जब म्यूनिसिपल कारपोरेशन को स्टे के बारे में पहले से ही पता था लेकिन उन्होंने उसे मिस-गाइड किया है। उन्होंने म्यूनिसिपल कारपोरेशन को उनके नुकसान हुए का भुगतान करने के लिए कहा लेकिन कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला। परेशान होकर शिकायतकर्ता ने जिला अदालत में दरवाजा खटखटाया।