प्राइवेट कंपनी के साथ नहीं बढ़ा सड़कों की सफाई का अनुबंध, चंडीगढ़ भाजपा पार्षदों में पड़ने लगी फूट
चंडीगढ़ भाजपा के पार्षदों में टकराव बढ़ गया है। इसका कारण है प्राइवेट कंपनी के साथ सफाई ठेका एक्सटेंड न होना। दक्षिणी सेक्टर के पार्षद अनुबंध बढ़ाने के समर्थन में थे लेकिन उतरी सेक्टर के भाजपा पार्षद इसके विरोध में थे।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ भाजपा के पार्षदों में टकराव बढ़ गया है। इसका कारण है प्राइवेट कंपनी के साथ सफाई ठेका एक्सटेंड न होना। दक्षिणी सेक्टर के पार्षद अनुबंध बढ़ाने के समर्थन में थे लेकिन उतरी सेक्टर के भाजपा पार्षद इसके विरोध में थे। यही कारण है कि अब भाजपा पार्षदों एक-दूसरे के विरोध में हैं। अब दक्षिणी सेक्टर के भाजपा पार्षद अपनी ही पार्टी के पार्षदों के एजेंडों में रुकावट पैदा करेंगे।
सोमवार को हुई सदन की बैठक के दौरान ही भाजपा पार्षद गुरप्रीत सिंह ढिल्लो ने अपने ही पार्टी पार्षद शक्ति देवशाली को इस बारे में चेताया है। पार्षद शक्ति प्रकाश देवशाली ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कई नई तकनीक आ चुकी हैं। यदि वर्तमान टेंडर समाप्त कर नया टेंडर लगाया जाता है तो तीन डुलेवो 5000 मशीनें, पूरा कमांड कंट्रोल सेंटर सभी सामान सहित नगर निगम का हो जाएगा। इन मशीनों का प्रयोग दूसरे क्षेत्र में किया जा सकता है जिससे वहां की सफाई व्यवस्था सुधर जाएगी। पांच साल पुरानी मशीनों के लिए इतनी बड़ी राशि देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनी नया टेंडर लेगी वह नई मशीनों और नए उत्साह के साथ उत्तम कार्य करेगी। नया टेंडर का फैसला ही उचित है।
वहीं अनुबंध न बढ़ने से पूर्व मेयर राजेश कालिया भी नाराज हैं। जबकि सेनिटेशन कमेटी के चेयरमैन भरत कुमार ने भी अनुबंध बढ़ाने की बात सदन में रखी है। अंत में भाजपा अध्यक्ष एवं पार्षद अरुण सूद को मामले में हस्ताक्षेप करते हुए कहना पड़ा कि सफाई का सिस्टम अच्छा है लेकिन फिर भी टेंडर किया जाना चाहिए। जबकि इससे पहले मेयर रविकांत शर्मा इस मामले को एक माह के लिए कमेटी का गठन करके टालने वाले थे। कांग्रेस पार्षदाें ने भी अनुबंध बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध जाहिर किया। कांग्रेस पार्षद देवेंद्र सिंह बबला ने पूर्व मेयर अरुण सूद सहित उनके पार्षदों पर कंपनी का फेवर करने का भी आरोप लगाया।
दुकानों का किराया किया जाए माफ, प्रॉपर्टी टैक्स में छूट की मांग
शक्ति प्रकाश देवशाली ने कहा की कोरोना महामारी के चलते शहरवासी भी वित्तीय समस्या का सामना कर रहे हैं। बहुत से दुकानें और शोरूम खली पड़े हैं। इसलिए प्रॉपर्टी टैक्स में 50 फीसद की छूट दी जानी चाहिए। कोरोना में मई माह में स्ट्रीट वेंडर्स अपना काम नहीं कर पाए। इसके अतिरिक्त लगभग एक माह तक संपर्क सेंटर बंद रहे जिस कारण वेंडर्स अपनी लाइसेंस फीस जमा नहीं करवा पाए। कोरोना संकटकाल को देखते हुए स्ट्रीट वेंडर्स की मई माह की लाइसेंस फीस माफ कर दी जाए। सेक्टर 17 और 22 में अंडरपास में स्थित दुकानों का भी मई माह का किराया माफ किया जाना चाहिए।