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27 साल तक मेडीक्लेम भरा पर इंश्योरेंस कवर नहीं दिया, कंज्यूमर कोर्ट में इस तरह मिला न्याय

एक उपभोक्ता ने 27 साल तक मेडिक्लेम भरा पर जब आपरेशन के वक्त जरूरत पड़ी तो कंपनी इंश्योरेंस कवर देने से मुकर गई।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 01:13 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 01:51 PM (IST)
27 साल तक मेडीक्लेम भरा पर इंश्योरेंस कवर नहीं दिया, कंज्यूमर कोर्ट में इस तरह मिला न्याय
27 साल तक मेडीक्लेम भरा पर इंश्योरेंस कवर नहीं दिया, कंज्यूमर कोर्ट में इस तरह मिला न्याय

विशाल पाठक, चंडीगढ़। करीब 27 साल तक मेडीक्लेम भर रहे एक शख्स को ऑपरेशन के दौरान इंश्योरेंस कवर न देने पर कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी को इंश्योरेंस कवर लौटाने और हर्जाना भरने के आदेश दिए हैं।

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मोहाली के फेज-11 के रहने वाले सरबजीत सिंह ने फेज-2 के  द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ बीमा कराया था। 20 जून 2017 को सरबजीत के पेट में अचानक दर्द हुआ। जिन्हें इलाज के लिए होप क्लिनिक ले गए। जहां से उन्हें मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटल भेज दिया गया। जहां ग्रेस्ट्रो डिपार्टमेंट में सरबजीत सिंह को सीसीयू में एडमिट किया गया। शिकायतकर्ता सरबजीत सिंह के बेटे ने इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर बीमा का कवर देने के लिए कहा। लेकिन 22 जून 2017 को इंश्योरेंस कंपनी ने हेल्थ कवर देने से इंकार कर दिया। उपभोक्ता ने अपनी जेब से इलाज के लिए 1.58 लाख रुपये जमा कराए।

शिकायतकर्ता ने अपने इलाज के कुछ दिन बाद सेक्टर-44 डी स्थित रक्षा हेल्थ इंश्योरेंस टीपीए प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क कर उन्हें इंश्योरेंस कवर न देने को लेकर शिकायत दी। इस बीच सरबजीत सिंह की तबीयत फिर खराब हो गई। 3 अगस्त 2017 को  मैक्स हॉस्पिटल में एडमिट कराया। जहां सरबजीत सिंह के गॉल ब्लैडर में स्टोन निकालने का ऑपरेशन हुआ। इंश्योरेंस कंपनी ने दोबारा उपभोक्ता को इंश्योरेंस की कैशलेस सुविधा उपलब्ध नहीं कराई। इस पर उपभोक्ता ने  द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और रक्षा हेल्थ इंश्योरेंस टीपीए प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दी।

कंज्यूमर कोर्ट ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के डिविजनल मैनेजर, रिजनल मैनेजर और रक्षा हेल्थ इंश्योरेंस टीपीए प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस कर जवाब मांगा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कंज्यूमर कोर्ट ने तीनों कंपनियों को उपभोक्ता को 1.58 लाख रुपये इंश्योरेंस कवर 9 प्रतिशत सालाना ब्याज के हिसाब के साथ पैसे लौटाने के आदेश जारी किए। इसके अलावा शिकायतकर्ता को 25 हजार रुपये हर्जाना और 10 हजार रुपये मुकदमा राशि देने के आदेश जारी किए।


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