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चंडीगढ़ में बीमा कंपनी ने उपभोक्ता को नहीं दिया लायल्टी एडिशन, कमीशन ने लगाया 30 हजार रुपये का हर्जाना

चंडीगढ़ में उपभोक्ताओं को लुभावने लालच देकर पालिसी एजेंट उनकी बीमा पालिसी तो करवा देते है लेकिन बाद में उपभोक्ता को कोई भी फायदा नहीं मिलता है। शहर में ऐसे केस बड़ी संख्या में सामने आ रहे है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 03:05 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 03:05 PM (IST)
चंडीगढ़ में बीमा कंपनी ने उपभोक्ता को नहीं दिया लायल्टी एडिशन, कमीशन ने लगाया 30 हजार रुपये का हर्जाना
चंडीगढ़ में कमीशन ने एक बीमा कंपनी पर जुर्माना लगाया है।

चंडीगढ़, वैभव शर्मा। शहर में उपभोक्ताओं को लुभावने लालच देकर पालिसी एजेंट उनकी बीमा पालिसी करवा देते है लेकिन बाद में उपभोक्ता को कोई भी फायदा नहीं मिलता है। शहर में ऐसे केस बड़ी संख्या में सामने आ रहे है, जहां उपभोक्ताओं को बीमा की राशि के अतिरिक्त कोई दूसरा लाभ (एजेंट और कंपनी के वायदों के अनुसार) नहीं मिल रहा है।

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ऐसा ही एक केस सामने आया है, जहां पर सेक्टर-17 स्थित लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन (एलआइसी) ने मोहाली फेज-1 के रहने वाले सुमी गुरमीत सिंह को लॉयल्टी एडिशन (सभी किस्त समय पर जमा करना) की राशि नहीं दी। मामला 15 अक्टूबर 2003 का है, जब लायल्टी एडिशन की राशि न देने पर गुरमीत सिंह ने एलआइसी के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर कमीशन ने सुनवाई करते हुए एलआइसी को लायल्टी एडिशन की एक लाख 90 हजार रुपये की राशि वापस करने के निर्देश दिए है।

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इसके अलावा एलआइसी आठ फीसद प्रति वर्ष ब्याज दर के साथ यह राशि शिकायतकर्ता को वापस करनी होगी। इसके साथ ही एलआइसी शिकायतकर्ता को मानसिक रूप से परेशान करने पर 20 हजार रुपये का हर्जाना और लिटिगेशन चार्ज के रूप में दस हजार रुपये देगी। अगर राशि का भुगतान 30 दिनाें के अंदर नहीं होता तो कंपनी 10 फीसद प्रति ब्याज दर के साथ राशि लौटाएगी।

चार लाख रुपये की राशि दी, लेकिन एक लाख रुपये रोके

शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हाेंने 15 वर्षों के लिए एलआइसी करवाई थी, जिसकी हर तीन महीने के बाद 4432 रुपये की किस्त जमा होती थी। पालिसी के नियमों और शर्तों के अनुसार मेच्योरिटी, मरने के बाद, जीवित रहने पर के अलावा समय पर किस्तों का भुगतान करने पर बीमा धारक को लायल्टी एडिशन की राशि दी जाएगी। इस दौरान कंपनी ने उन्हें 4,10,000 रुपये कर भुगतान तो कर दिया लेकिन लायल्टी एडिशन की 1 लाख 90 हजार रुपये की राशि रोक दी।

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