चंडीगढ़ में कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत, सेक्टर-53 में अगले साल से बनेंगे 564 प्लैट
सेक्टर-53 में 11.795 एकड़ भूमि पर फ्लैटों का निर्माण 21 अगस्त, 2019 से शुरू हो जाएगा। यहां लगभग 564 फ्लैटों का निर्माण होने की संभावना है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की साल 2008 में चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों के लिए लांच की गई सेल्फ फाइनेंसिंग हाउसिंग स्कीम जल्द सिरे चढ़ेगी। इस संबंध में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर किए गए एक जवाब में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने कहा है कि बोर्ड के पास सेक्टर-53 में इस स्कीम के लिए उपलब्ध 11.795 एकड़ भूमि पर फ्लैटों का निर्माण 21 अगस्त, 2019 से शुरू हो जाएगा और 20 अगस्त 2022 तक इनका निर्माण पूरा करवा दिया जाएगा।
इस भूमि पर लगभग 564 फ्लैटों का निर्माण होने की संभावना है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन अजॉय कुमार सिन्हा द्वारा हाईकोर्ट में दायर किए गए हलफनामे के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए आर्किटेक्चरल ड्राइंग और कंसेप्ट प्लान 12 नवंबर को ही पूरा हो चुका है।
3930 आवासों का निर्माण करने के लिए भूमि आवंटित करने का प्रस्ताव भेजा
इस योजना के लिए 61.5 एकड़ और भूमि उपलब्ध करवाने के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा हाईकोर्ट में सौंपे गए जवाब में कहा गया है कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इस योजना के तहत 3930 आवासों का निर्माण करने के लिए भूमि आवंटित करने के प्रस्ताव को कैबिनेट सेक्रेटेरिएट को भेज दिया गया है और अभी इस पर कैबिनेट सेक्रेटेरिएट से जवाब आना बाकी है।
10 साल पहले लांच की गई थी स्कीम
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने फरवरी 2008 में यूटी के कर्मचारियों के लिए सेल्फ फाइनेंसिंग हाउसिंग स्कीम के तहत 3930 फ्लैट्स बनाने की स्कीम लांच की थी। इस स्कीम के लिए सफल आवेदकों से मोटी फीस वसूली गई थी। इस स्कीम के तहत सी कैटेगरी के मकानों के आवेदन के लिए 70 हजार रुपये फीस ली गई थी। स्कीम के तहत 8 हजार से अधिक आवेदन आने पर 4 नवंबर 2010 को ड्रॉ निकाला गया।
आवेदनों से हुई थी 56 करोड़ की कमाई
इस स्कीम के आवेदनों से ही हाउसिंग बोर्ड ने 56 करोड़ रुपये प्राप्त किए गए थे। इस स्कीम के लिए हाउसिंग बोर्ड ने तय समय सीमा में चंडीगढ़ प्रशासन को भूमि के तत्कालीन भाव की 25 प्रतिशत कीमत अदा करनी थी, परंतु चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को यह राशि न दिए जाने के चलते भूमि आवंटन की प्रक्रिया अधर में लटक गई और अब गृह मंत्रालय के नए आदेशों के तहत इस भूमि की कीमत को लेकर पेंच फंसा हुआ है।