चंडीगढ़ में Lockdown पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, कहा- क्या दो दिन में कोरोना खत्म हो जाएगा
चंडीगढ़ में बढ़ते कोरोना के नए मामलों और शहर में यूके स्ट्रेन की दस्तक के बाद प्रशासन वीकेंड लॉकडाउन (हर शनिवार और रविवार) लगा दिया है। प्रशासन द्वारा लगाए गए वीकेंड लॉकडाउन पर चंडीगढ़ कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ में बढ़ते कोरोना के नए मामलों और शहर में यूके स्ट्रेन की दस्तक के बाद प्रशासन वीकेंड लॉकडाउन (हर शनिवार और रविवार) लगा दिया है। प्रशासन द्वारा लगाए गए वीकेंड लॉकडाउन पर चंडीगढ़ कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं।
चंडीगढ़ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष दीपा दुबे ने कहा है कि वीकेंड लॉकडाउन लगा कर सरकार व प्रशासन लोगों के साथ अन्याय कर रहा है। प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने जो गाइडलाइन जारी की है उनका क्या औचित्य है। कोरोना संक्रमण को खत्म या कम करने के लिए वीकेंड लॉकडाउन लगाना कोई स्थायी उपाय नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। अब दोबारा लोगों को घर के अंदर बंद करना इसका समाधान नहीं है। लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासन को हर सेक्टर, कॉलोनी और गांव में जागरूक अभियान चलाना चाहिए न कि दुकान में और लोगों के रोजगार बंद करने चाहिए। प्रशासन ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया है।
दीपा दूबे का कहना है कि सभी राज्यों ने बच्चों की परीक्षाएं रद कर दी हैं लेकिन चंडीगढ़ ही एक ऐसा उदाहरण है जहां पर कक्षा 9वीं और ग्यारहवीं की परीक्षाएं स्कूल में जाकर ऑफलाइन ली जा रही हैं। एक तरफ प्रशासन कोरोना की दुहाई देकर लॉकडाउन लगा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ शहर के बच्चों को स्कूल में परीक्षा के लिए बुलाकर कोरोना के मुंह में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब 10वीं की परीक्षाएं रद कर दी गई हैं तो क्या 9वीं और 11वीं के बच्चे बच्चे नहीं हैं।
महिला कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि वीकेंड लॉकडाउन के बाद क्या कोरोना खत्म हो जाएगा और क्या कोरोना स्कूल आकर परीक्षा देने वाले बच्चों को नहीं होगा। यह सब चीजें प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर रही हैं कि इनके लिए गए फैसले दूरगामी सोच कर नहीं लिए गए हैं। जल्दबाजी में लिए गए फैसले कितने लोगों की जान लेकर जाएंगे चाहे वह कोरोना से हो या फिर भुखमरी से। प्रशासन सुचारू रूप से ऐसी नीतियां गठित करे जिससे कोरोना से भी बचाव हो सके और लोगों के व्यवसाय पर बच्चों की सेहत पर और गरीब मजदूर की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर न पड़े।