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एक‍ दिन बाद ही कांग्रेस का सिद्धू से 'मोहभंग', राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा से 'गुरु' हुए आउट

लगता ह‍ै एक दिन बाद ही कांग्रेस का नवजोत सिंह सिद्धू से मोहभंग हो गया है। लंबे अरसे बाद कांग्रेस के मंच पर नजर आए नवजाेत सिद्धू एक दिन बाद ही राहुल गांधी की ट्रैक्‍टर यात्रा से आउट हो गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 08:58 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 06:32 AM (IST)
एक‍ दिन बाद ही कांग्रेस का सिद्धू से 'मोहभंग', राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा से 'गुरु' हुए आउट
राहुल गांधी के साथ ट्रैक्‍टर रैली के पहले दिन नवजोंत सिंह सिद्धू।

संगरूर, [कैलाश नाथ]। कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू से उनकी पार्टी को एक दिन बाद ही 'मोहभंग' होता नजर आया। लंबे अरसे बाद पंजाब कांग्रेस के मंवच दिखे सिद्धू एक दिन बाद ही पार्टी के पूूूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी के ट्रैक्टर यात्रा से आउट हो गए। 17 महीने के बाद सिद्धू ने राहुल गांधी के ट्रैक्टर यात्रा के पहले दिन शुभारंभ के मौके पर कांग्रेस के स्टेज पर छक्के लगाए थे। वही अगले दिन वह राहुल के मंच नजर नहीं दिखाई दिए। सिद्धू की गैरहाजरी लोगों में चर्चा का विषय बन गई है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू का बचाव किया है। उनका कहना है, सिद्धू आगे कांग्रेस के मंच पर दिखाई देंगे।

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पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत बोले, अगले कार्यक्रमों में दिखाई देंगे नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू के रविवार को ट्रैक्‍टर यात्रा के शुभारंभ के माैके पर बर्ताव और भाषण में अपनी ही पार्टी की राज्‍य सरकार पर निशाना साधने से मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कास कैंप खासा नाराज है, लेकिन पार्टी प्रभारी हरीश रावत अब भी सिद्धू का बचाव करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, सिद्धू को एक दिन के लिए ही बुलाया गया था। वह कांग्रेस के अगले कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर सिद्धू से कहूंगा कि वह कल ट्रैक्टर यात्रा के अंतिम दिन भी शामिल हों। नवजोत सिद्धू द्वारा अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने पर हरीश रावत ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है। सिद्धू ने जो कुछ कहा वह कैप्टन अमरिंदर सिंह भी समझते हैं लेकिन चूंकि वह मुख्यमंत्री हैं इसलिए कुछ भी बोलने से पहले उन्हें राज्य की वित्तीय स्थिति को भी देखना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि कैप्टन अपने किसानों के लिए एमएसपी लागू नहीं करना चाहते, लेकिन पंजाब के पास इतना पैसा नहीं है कि वह ऐसा कर सके।

दरअसल हरीश रावत ने जिस तरह से खासी मशक्कत के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था और यात्रा वाले दिन उनके अमृतसर आवास पर उनके साथ नाश्ता करके वह उन्हें अपनी गाड़ी में लेकर आए थे। इससे साफ लग रहा था कि रावत किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच की आई खटास को दूर करना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने बधनी कलां की रैली में बोलने वाले वक्ताओं में नाम न होने के बावजूद सिद्धू का नाम शामिल करवाया और उन्हें बोलने का मौका दिया। लेकिन जब सिद्धू केंद्र सरकार पर निशाना साधते साधते अपनी ही सरकाेंर की ओर ही तीर चलाने लगे तो सहकारिता मंत्री ने उन्हें टोका।

नवजोत सिद्धू बाद में राहुल गांधी के साथ ट्रैक्टर पर बैठने को जगह ने मिलने को लेकर वह खिन्न से नजर आए। बधनी कलां की रैली के बाद लुधियाना के रैलियों में उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। सुबह से ही यह तय लग रहा था कि नवजोत सिद्धू आज संगरूर और पटियाला की रैलियों में नहीं आएंगे। हालांकि कांग्रेस के कई अन्य नेता यह भी कह रहे हैं कि हर जगह सभी को नहीं बुलाया गया है। कई मंत्री जो कल की रैलियों में शामिल थे, लेकिन आज नहीं आए हैं।

अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला भी सिद्धू का बचाव करते दिखे। उन्होंने कहा, सिद्धू क्यों नहीं आए यह तो वही बता सकते है। साथ ही, उन्होंने कहा कि सिद्धू पक्के कांग्रेसी है। 2022 में वह कांग्रेस से ही चुनाव लड़ेंगे। ऐसा पहली बार नहीं है कि नवजोत सिद्धू ने अपनी ही सरकार को सार्वजनिक मंच से अपने निशाने पर लिया हो। 17 मई 2019 को बठिंडा में लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला था।

उन्होंने कहा था कि शिरोमणि अकाली दल के साथ जो 75:25 हिस्सा पत्ती का खेल चल रहा है, उसे वो खत्म कर देंगे। यही नहीं, इससे पहले हैदराबाद में राहुल के कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब के कैप्टन हैं। मेरे कैप्टन राहुल गांधी है। तब से ही कैप्टन और सिद्धू के बीच विवाद की लकीर खिंची हुई है।

लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद मिशन 13 (पंजाब की 13 लोक सभा सीट को जितना) नहीं पूरा होने के कारण कैप्टन ने सिद्धू को जिम्मेदांर ठहराया था। इसके बाद कैप्टन ने सिद्धू से स्थानीय निकाय।महकमा वापस ले लिया था और उन्हें ऊर्जा विभाग दे दिया था। सिद्धू ने ऊर्जा महकमा स्वीकार नहीं किया और अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह तभी से हाशिए पर चल रहे हैं।

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