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पांच राज्यों में कांग्रेस की हार कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए 'संजीवनी', पंजाब में हावी नहीं हो पाएगा हाईकमान

पांच राज्यों के चुनाव परिणामों में कांग्रेस को उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली। पंजाब ही ऐसा राज्य है जहां दो तिहाई बहुमत से कांग्रेस की अपनी सरकार है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हाईकमान दबाव नहीं बना पाएगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 11:35 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 12:42 PM (IST)
पांच राज्यों में कांग्रेस की हार कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए 'संजीवनी', पंजाब में हावी नहीं हो पाएगा हाईकमान
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में कांग्रेस के लिए कोई भी सुखद समाचार नहीं है। पंजाब पूरे देश में एक मात्र ऐसा राज्य हैं, जहां पर कांग्रेस दो तिहाई सीटों के साथ सरकार में डटी हुई है। राजनीति के जानकारों के अनुसार ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का पार्टी में वजन व कद दोनों बरकरार रहेंगे और 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर पंजाब कांग्रेस से जुड़े अन्य मामलों को लेकर हाईकमान कैप्टन पर हावी नहीं हो पाएगा।

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इसके साथ ही बेअदबी कांड को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ 'बगावत' का झंडा बुलंद कर रहे नवजोत सिंह सिद्धू के लिए आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है।पंजाब में कैप्टन के मुकाबले ऐसा कोई दूसरा कद्दावर नेता भी पार्टी के पास नहीं है कि कांग्रेस कैप्टन के खिलाफ जाकर कोई फैसला ले सके। ऐसे में सिद्धू के लिए कांग्रेस का सफर और भी संकट पूर्ण हो सकता है।

चूंकि सिद्धू को पार्टी की महासचिव प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी का समर्थन रहा है। सिद्धू पिछले एक माह से कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरुद्ध खासे हमलावर रहे हैं। जिसके बाद कैप्टन और सिद्धू के बीच खींचतान और बढ़ गई है। कैप्टन, सिद्धू को सीधे-सीधे पटियाला से उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती भी दे चुके हैं।

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इस बीच सबकी नजरें पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर टिकी हुई थीं। क्योंकि अगर इन चुनाव में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ता तो निश्चित रूप से पंजाब पर इसका असर पड़ने की संभावना थी, क्योंकि पार्टी हाईकमान लंबे समय से सिद्धू को पंजाब की कमान देने के हक में थी। इसके लिए हाईकमान ने बकायदा प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की ड्यूटी लगाई हुई थी। हालांकि कैप्टन इस हक में नहीं हैं कि सिद्धू को प्रदेश की कमान दी जाए। इसके बावजूद रावत लगातार कैप्टन को मनाने के कोशिश कर रहे थे।

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कैप्टन ने पिछले दिनों ही स्पष्ट कर दिया था कि सिद्धू के पास संगठन का अनुभव नहीं है और पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जो यूथ कांग्रेस से आए हैं। जबकि सिद्धू को कांग्रेस में आए हुए केवल साढ़े चार वर्ष ही हुए हैं। अब कांग्रेस पांच राज्यों में कोई करिश्मा नहीं कर पाई है तो हाईकमान की ओर से पंजाब में पार्टी की कमान सिद्धू के हाथों में सौंपने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकेगा। वहीं, 2022 के चुनाव में टिकट बंटवारे में भी कैप्टन की भूमिका ही अहम रहेगी। 

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