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बादल पिता-पुत्र को घेरने के‍ लिए गठित SIT में ही घमासान, चार मेंबरों ने चालान पर उठाया सवाल

पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा बादल पिता-पुत्र प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल को घेरने के लिए गठित एसआइटी में ही विवाद हो गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 11:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 06:52 PM (IST)
बादल पिता-पुत्र को घेरने के‍ लिए गठित SIT में ही घमासान, चार मेंबरों ने चालान पर उठाया सवाल
बादल पिता-पुत्र को घेरने के‍ लिए गठित SIT में ही घमासान, चार मेंबरों ने चालान पर उठाया सवाल

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा बादल पिता-पुत्र पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल को घेरने के लिए बनाई गई एसआइटी में ही घमासान मच गया है। वर्ष 2015 के बरगाड़ी बेअदबी कांड के बाद हुए कोटकपूरा व बहिबलकलां गोलीकांड की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) में दरार आ गई है। एसआइटी के चार सदस्य इस मामले में आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह की ओर से अदालत में पेश किए गए चालान से सहमत नहीं हैं।

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कोटकपूरा व बहिबलकलां गोलीकांड: एसआइटी प्रमुख प्रबोध कुमार ने डीजीपी को लिखा पत्र, सीएम से भी मिले

एसआइटी के प्रमुख प्रबोध कुमार व अन्य सदस्यों आइजी अरुण पाल सिंह, एसएसपी कपूरथला सतिंदर सिंह व एडीसीपी अमृतसर भूपिंदर सिंह ने खुद को इससे अलग कर लिया है। प्रबोध कुमार ने डीजीपी को पत्र लिखकर साफ तौर पर कहा है कि चालान तैयार करते समय एसआइटी के सदस्यों को विश्वास में नहीं लिया गया। वहीं, पता चला है कि प्रबोध कुमार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी मिले हैं और मौखिक रूप से उनसे वही बातें दोहराई हैं, जो उन्होंने डीजीपी को लिखे पत्र में कही हैं।

प्रबोध कुमार ने पत्र में लिखा है कि अगर सरकार इस केस में अदालत में हारती है, तो इसकी सारी जिम्मेदारी केवल कुंवर विजय प्रताप सिंह की होगी। सूत्रों से पता चला है कि मुख्यमंत्री ने उन्हें केवल यह कहते हुए आश्वस्त किया है कि मामला अदालत में है, वही देखेगी।

आइजी कुंवर ने जो चालान पेश किया है उसमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री  सुखबीर सिंह बादल, पूर्व डीजीपी सुमेध सैणी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को जांच के दायरे में रखा गया है। इस मामले में अब जल्द ही सप्लीमेंटरी चालान पेश किया जाएगा।

इसके अलावा कोटकपूरा गोलीकांड में आइजी परमराज सिंह उमरानंगल, पूर्व एसएसपी चरनजीत सिंह शर्मा के अलावा पूर्व शिअद विधायक मनतार सिंह बराड़, तत्कालीन एडीसीपी लुधियाना परमजीत सिंह पन्नू, डीएसपी कोटकपूरा बलजीत सिंह व थाना सिटी कोटकपूरा के एसएचओ गुरदीप सिंह को आरोपित मानते हुए इनके खिलाफ मिले कुछ सुबूत भी अदालत के समक्ष रखे गए हैं।

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार बैकफुट पर आई

कोटकपूरा व बहिबलकलां गोलीकांड को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने शिरोमणि अकाली दल को हाशिए पर धकेला हुआ था। कुंवर विजय प्रताप सिंह के अपनी ही टीम की बिना सहमति के चालान पेश करने से सरकार अब बैकफुट पर आ गई है। सीएम ऑफिस के सूत्रों का मानना है कि यह बड़ी गलती है कि अपनी ही टीम को विश्वास में नहीं लिया गया।

लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग से शिकायत पर हटाए गए थे कुंवर

गौरतलब है कि जांच को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही कुंवर विजय प्रताप सिंह को घेरा हुआ है। चुनाव के दौरान उनके दिए गए एक इंटरव्यू की शिकायत शिअद ने चुनाव आयोग से की थी। इसके बाद उन्हें एसआइटी से हटा दिया गया था। आचार संहिता हटते ही उन्हें फिर से एसआइटी में शामिल कर लिया गया। वहीं, यह भी पता चला है कि  कुंवर ने यह पद छोड़ा ही नहीं था।

शिरोमणि अकाली दल के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने भी कहा कि चुनाव आयोग के आदेश के बावजूद कुंवर एसआइटी में काम करते रहे और उनके अधिकारियों के साथ बैठकें करते रहे। यहां तक कि जो चालान फरीदकोट अदालत में पेश किया गया है, उसमें भी केवल उनके ही हस्ताक्षर हैं। यह 23 मई को पेश किया गया है, जबकि एसआइटी में सरकार ने की फिर से नियुक्ति 27 मई को की है।

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