ब्लाइंड इंस्टीट्यूट चंडीगढ़ में बच्चे बना रहे खास मोमबत्तियां, कार्टून, फ्लावर कैंडल की डिमांड ज्यादा, 40 हजार बिक चुकी
इस बार बच्चे न केवल सिंपल बल्कि फैंसी मोमबत्तियों में अलग-अलग तरह की वैरायटी बना रहे हैं। इन मोमबत्तियों की एक खास बात यह है कि इनको बनाने में किसी तरह की मिलावट नहीं की जा रही है।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़। दीपों का त्योहार दीपावली को कुछ ही दिन शेष हैं। इस पर्व पर हर घर रोशन हो इसके लिए लोग विशेष तरह के दिये और मोमबत्तियों की खरीदारी करते हैं। ऐसे में शहर में हर साल की तरह इस बार भी सेक्टर-26 स्थित ब्लाइंड इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स खास तरह की माेमबत्तियां तैयार कर रहे हैं। पिछले 15 दिनों में लगभग 40 हजार मोमबत्तियाें की बिक्री भी हो चुकी है।
स्कूल प्रिंसिपल जेएस जयरा ने बताया कि यह बच्चे पढ़ाई के साथ साथ मोमबत्तियां भी बना रहे हैं। करीब सात से आठ बच्चों का समूह यह काम कर रहा है। इस बार बच्चे न केवल सिंपल बल्कि फैंसी मोमबत्तियों में अलग-अलग तरह की वैरायटी बना रहे हैं। इन मोमबत्तियों की एक खास बात यह है कि इनको बनाने में किसी तरह की मिलावट नहीं की जा रही है। इसकी वजह से यह दूसरी मोमबत्तियों के मुकाबले ज्यादा समय तक जलती हैं।
इस बार मिक्की माउस, मोर, फूल मोमबत्तियां, कार्टून कैंडल, फ्लावर कैंडल तैयार किए जा रही हैं।
दूसरे शहरों में भी जाएगी मोमबत्तियां
इंस्टीट्यूट में माेमबत्तियां लेने आए उत्कर्ष ने बताया कि वह पहले मार्केट से मोमबत्तियां लेकर लोगों में बांटते थे। लेकिन किसी ने उन्हें इंस्टीट्यूट के बारे में बताया तो यहां से मोमबत्तियां ले जाकर लोगों में बांटी जाएगी। उत्कर्ष एक एनजीओ चलाते हैं जो कई राज्यों में काम करती है। वह इन राज्यों में इन मोमबत्तियों को लोगों में बांटेंगे। वहीं उन्होंने कहा कि वह हर वर्ष यहीं से मोमबत्तियां लेकर जाएंगे।
लोग मोमबत्तियां खरीदने के लिए ब्लाइंड इंस्टीट्यूट पहुंच रहे हैं।
पिछले साल नहीं बनाई थी मोमबत्ती, इस साल आया अच्छा ऑर्डर
मोमबत्तियों को बिक्री की जिम्मेदारी इंस्टीट्यूट के वार्डन सुशील पर है। उन्होंने बताया कि पिछले साल कोविड-19 की वजह से मोमबत्तियों नहीं बनाई गई थी। इस वर्ष लोग इंस्टीट्यूट में आकर मोमबत्तियों को खरीद रहे हैं और यहां पर रेट भी मार्केट के मुकाबले कम है। उन्होंने बताया कि अभी 40 हजार मोमबत्तियां बिक गई हैं और अभी दीपावली से पहले तक मोमबत्तियां बनाई जाएंगी।
पंजाब के संगरूर से आती है मोम
इंस्टीट्यूट में मोमबत्तियों को बनाने के लिए पंजाब के संगरूर से मोम आती है। मोमबत्तियां बनाने के लिए करीब 30 बोरे (50 किलो) लगते है। मोमबत्तियां बनाने के बाद उनकी पैकिंग भी स्कूल में ही हो रही है। बच्चों की ओर से इस बार मिक्की माउस, मोर, फूल मोमबत्तियां, कार्टून कैंडल, फ्लावर कैंडल के अलावा कई प्रकार की माेमबत्तियां बनाई जा रही हैं।
मशीन से बनाई जा रही मोमबत्तियां
मोमबत्तियों का मशीनों द्वारा निर्माण किया जा रहा है। मशीनों के द्वारा मोमबत्ती का निर्माण करने की वजह से कम समय में अधिक मोमबत्तियां निर्मित हो रही हैं। इस समय इंस्टीट्यूट में एक दिन में एक हजार से 1200 माेमबत्तियां बन रही है। मशीन आदमियों की अपेक्षा अधिक तेज गति से कार्य करती है।