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बचपन की शरारतों से निखरी सरदूल की प्रतिभा

बच्चे जब गली में खेलने के लिए एकत्र होते थे तो खेल तब तक शुरू नहीं होता था जब तब सरदूल न आ जाएं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 09:40 PM (IST)
बचपन की शरारतों से निखरी सरदूल की प्रतिभा
बचपन की शरारतों से निखरी सरदूल की प्रतिभा

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़

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बच्चे जब गली में खेलने के लिए एकत्र होते थे तो खेल तब तक शुरू नहीं होता था, जब तब सरदूल न आ जाएं। सरदूल सिकंदर पहले बच्चों को नकल कर उन्हें चिढ़ाया करते थे। बाद में उन्हें खुश करने के लिए गाना सुनाते थे। यही शरारत आगे चलकर उनकी पहचान बनी। पंजाबी लोक गायन के मामले में उन्होंने खुद को मील का पत्थर साबित किया। सरदूल सिकंदर से जुड़ी इन्हीं यादों को उनके बचपन की दोस्त और नगर निगम मोहाली में कार्यरत सतविदर कौर ने बुधवार को साझा की। सतविदर कौर रंगकर्मी भी हैं।

दैनिक जागरण के साथ बातचीत में सतविदर ने बताया कि सरदूल उससे करीब सात साल बड़े थे। गाने की आदत उन्हें बचपन से ही थी। किसी के भी घर में शादी होती तो सरदूल हमेशा वहां पर गाने पहुंच जाते थे। सरदूल सिकंदर के देहांत से शहर के कलाकारों में शोक की लहर है।

सरदूल सिकंदर के साथ काम कर चुके तबला वादक सर्वजीत सिंह शिवू ने बताया कि उनकी मुलाकात शहर में खुले सुर संगम स्टूडियो के समय हुई थी। वह कभी भी किसी की उम्र नहीं देखते थे। मैं उम्र में उनके बच्चों के बराबर था, लेकिन जब भी कोई बात बोली तो उसे सुनकर उन्होंने उसे सुलझाने का प्रयास किया। पैसों से ज्यादा सरदूल ने कमाए रिश्ते

सरदूल सिकंदर के साथ काम कर चुकीं पंजाबी फोक सिगर सुखी बराड़ ने बताया कि सरदूल हमेशा रिश्ते बनाने में विश्वास रखते थे। संघर्ष के दिनों भी उन्होंने कोई भी स्टेज प्रोग्राम करने के लिए कभी पैसे की डिमांड नहीं की। जो भी खर्च आयोजक उन्हें देता था वह चुपचाप जेब में रख लेते थे। संगीत के प्रति समर्पित थे सिकंदर

म्यूजिक डायरेक्टर और चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन अतुल शर्मा ने बताया कि सिकंदर संगीत के प्रति इतने वफादार थे कि जब भी मंच पर जाने के बाद जब तक खुद की या फिर दर्शकों की तसल्ली नहीं हो जाए नीचे नहीं उतरते थे। मंच पर प्रस्तुति के दौरान वह समय की परवाह न करते हुए संगीत में डूब जाते थे। सुरों के सिकंदर ही नहीं दिलों के सिकंदर भी थे सरदूल

रोहित कुमार, मोहाली

सरदूल सिकंदर सुरों के सिकंदर ही नहीं, दिलों के सिकंदर भी थे। भाजी दी हले बहुत लोड़ सी विश्वास नहीं हुदां कि हो गया? पंजाब के प्रसिद्ध कलाकार गुरप्रीत घुग्गी ने फोर्टिस अस्पताल में बुधवार को यह बात कहीं। घुग्गी ने कहा कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री का बाबा बोहड़ चला गया। अस्पताल में पहुंचे कई कलाकारों ने कहा कि किसान आंदोलन में भाजी से मुलाकात की हुई थी। ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि यह सब हो जाएगा। सरदूर सिकंदर की मौत की खबर सुनते ही मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उनके चाहने वालों का हुजूम उमड़ गया। पंजाबी गायक एैमी विर्क से लेकर गुरप्रीत घुग्गी, कमलजीत अनमोल जैसे की नामी कलाकार फोर्टिस अस्पताल में पहुंचे। सरदूल भाजी को देखदेख कर बड़े हुए। जब उनके निधन के बारे में पता चला तो मन बहुत उदास हो गया। किसान आंदोलन के बीच में उनसे मिले थे, तब ऐसी कोई बात नहीं लग रही थी।

- रणजीत बाबा, पंजाबी सिगर। सुरीली गायकी का अंत हो गया है। पंजाबी गीतों ही नहीं माता के जागराते भी सिकंदर साहिब के सुनने वाले होते थे। लोग अखाड़ों में सुनने के लिए दूर दूर से पहुंचते थे।

- कमलजीत अनमोल, पंजाबी सिगर पंजाबियों के दिलों पर राज करने वाला सिकंदर चला गया, लेकिन वह सदा दिलों में ही रहेंगे। उसके गीतों को लेकर हमेशा सुनते रहेंगे।

- सतिदर बुग्गा, पंजाबी गायक। विश्वास नहीं हो रहा। ये क्या हो गया? अभी तो भाजी की कुछ उम्र भी नहीं थी। ईश्वर को जो मंजूर था वहीं हुआ। लेकिन उनको कभी नहीं भूल पाएंगे।

- सचिन अहूजा, संगीतकार

ये म्यूजिक इंडस्ट्री को न पूरी होने वाली क्षति हुई है। सिकदर की जगह कोई नहीं ले सकता।

- भट्टी बरीवालां, सिगर। विश्वास नहीं हो रहा। ऐसा नहीं लग रहा कि भाजी चले गए। वह सदा दिलों में रहेंगे।

- हरदीप, सिगर मैं भाजी का बहुत बड़ा फैन हूं और रहूंगा। बचपन से उनका सुनता आया हूं। लेकिन आज विश्वास नहीं हो रहा कि वे हमारे बीच नहीं हैं।

- एमी विर्क, सिगर


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