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चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी बोले- जस्टिस सूर्यकांत बिना हाईकोर्ट जैसे द्रविड़ बिन टीम इंडिया

विदाई समारोह के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने जस्टिस सूर्यकांत की तुलना इंडियन क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ से की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 02:48 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 02:48 PM (IST)
चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी बोले- जस्टिस सूर्यकांत बिना हाईकोर्ट जैसे द्रविड़ बिन टीम इंडिया
चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी बोले- जस्टिस सूर्यकांत बिना हाईकोर्ट जैसे द्रविड़ बिन टीम इंडिया

चंडीगढ़ [कमल जोशी]। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में लगभग 14 साल से न्यायाधीश के तौर पर कार्य कर रहे जस्टिस सूर्यकांत को शानदार विदाई दी गई। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने जस्टिस सूर्यकांत की तुलना इंडियन क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ से की।

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उन्होंने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत ने हाईकोर्ट के प्रशासनिक मसलों में उन्हें लगातार शानदार समाधान उपलब्ध करवाए और उनके जाने के बाद टीम हाईकोर्ट की हालत ऐसी ही हो जाएगी जैसे कि राहुल द्रविड़ के जाने के बाद भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम। जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत के अंतिम कार्यदिवस पर बार एसोसिएशन ऑफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत का जाना उनके लिए सुखद भी है और दुखद भी है। जैसे कोई पिता अपनी पुत्री को विदा करते हुए हर्षित भी होता है और गमगीन भी, इसी प्रकार उनके लिए जस्टिस सूर्यकांत का जाना है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से विदा लेते हुए।

इस अवसर पर न्यू बार कांप्लेक्स में मौजूद वरिष्ठ और युवा वकीलों को संबोधित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कई बार किसी पद को हासिल करना अधिक कठिन नहीं होता परंतु उस पद की जिम्मेदारियों को निभाना अधिक कठिन होता है। ऐसे में उस पद की जिम्मेदारियों को निभाते हुए उससे अपेक्षित उम्मीदों पर खरा उतरना ही सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। 1985 से लेकर 2018 तक के अपने न्यायिक करियर में उन्होंने कई पदों पर काम किया और हर जिम्मेदारी ने उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को निभाना सिखाया। कठिन परिश्रम का मार्ग ही सफलता का मार्ग है और वे युवा वकीलों से अपनी अदालत में इसीलिए अधिक प्रश्न पूछते हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि हर युवा वकील अपनी मेहनत के बलबूते सफलता हासिल करे।

युवा वकीलों को लोगों का न्याय व्यवस्था में भरोसा कायम रखने के लिए प्रेरित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि न्यायपालिका कई चुनौतियों से जूझ रही है। इसमें दशकों से लंबित पड़े पुराने मामलों को निपटाने की चुनौती सबसे अहम है जिन्हें 'एजर्स' के नाम से जाना जाता है।

उन्होंने कहा कि न्याय का उपभोक्ता, आम आदमी, न्यायपालिका से ऊंची उम्मीदें रखता है और इन उम्मीदों पर खरा उतरना न्यायिक तंत्र से जुड़े हर व्यक्ति का कर्तव्य है। युवा वकीलों की सफलता में उनकी ड्राफ्टिंग का बड़ा योगदान बताते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर युवा वकील अपनी ड्राफ्टिंग पर नियंत्रण हासिल कर लें तो वे अदालत में अपने केस को बड़ी आसानी से प्रस्तुत कर सकते हैं। इस अवसर पर बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने जस्टिस सूर्यकांत को एक स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। समारोह में हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीश उपस्थित थे।

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