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नकली कीटनाशक बेचने वालों को बचाने में फंसे 20 एडीओ, चार्जशीट दायर

पंजाब के नकली कीटनाशक मामले में 20 एडीसी रैंक के अफसरों के खिलाफ चार्जशीट जारी किए गए हैं। इन अफसरों पर नकली कीटनाशक पकड़ने के बाद भी कार्रवाई न करने का आरोप है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 11:30 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 08:30 AM (IST)
नकली कीटनाशक बेचने वालों को बचाने में फंसे 20 एडीओ, चार्जशीट दायर
नकली कीटनाशक बेचने वालों को बचाने में फंसे 20 एडीओ, चार्जशीट दायर

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब के कृषि विभाग ने नकली कीटनाशक दवाओं और बीजों को पकड़ने के बावजूद आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करने वाले 20 एडीओ (एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर) को चार्जशीट जारी कर दी है। एडीओ रैैंक के 11 अधिकारी अभी रडार पर हैं जिन्हें शीघ्र चार्जशीट जारी की जा सकती है। इस मामले में तत्‍कालीन कृषि मंत्री तोता सिंह और कृषि विभाग के निदेशक पर भी घेरा कस गया था। यह मामला प्रकाश सिंह बादल के शासनकाल का है।

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नकली कीटनाशक विक्रेताओं पर कार्रवाई न करने के मामले में पूर्व कृषि मंत्री तोता सिंह व निदेशक भी घेरे में थे

प्रदेश में तीन साल पहले सफेद मक्खी का नरमे की फसल पर जबर्दस्त हमला हुआ था। इसके बाद नकली कीटनाशक बनाने और इन्‍हें बेचने वालों पर अंगुलियां उठी थीं। किसानों ने जिन कीटनाशक का छिड़काव किया था वे नकली थे और इस कारण उनकी फसलें बर्बाद हो गई थीं। इस मामले में तत्कालीन कृषि मंत्री तोता सिंह व विभाग के निदेशक मंगल सिंह संधू भी घेरे में आए थे। मामले के गर्माने पर तोता सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में विभागीय जांच में तोता सिंह तो बच निकले, लेकिन संधू अब भी अदालती केस झेल रहे हैं।

11 और अधिकारियों पर शीघ्र चार्जशीट, कीटनाशक दवाओं, बीजों के सैैंपल फेल पर भी केस दर्ज नहीं करवाया
चार्जशीट किए गए अधिकारियों पर आरोप है कि पिछले कई सालों से ये नकली कीटनाशक दवाओं का सैैंपल फेल होने पर भी इसे बेचने वालों के खिलाफ न तो केस दर्ज करवाते हैं न ही मामले को अदालत तक ले जाते हैैं। इस वजह से नकली कीटनाशक बेचने वाले साफ बचकर बाहर निकल जाते हैं। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डेवलपमेंट विश्वजीत खन्ना और सेक्रेटरी काहन सिंह पन्नू ने बीस अधिकारियों के चार्जशीट करने की पुष्टि करते हुए बताया कि बाकी 11 को भी दो-चार दिन में चार्जशीट जारी कर दी जाएंगी।

76 मामलों में नहीं की गई कार्रवाई

सैैंपल फेल होने के 76 मामले सामने आए हैं जिनमें कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन सभी पर इनसेक्टीसाइड एक्ट 1968 के अधीन कार्रवाई करने की जरूरत थी। इस एक्ट के तहत सैैंपल फेल होने पर सैैंपल लेने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह आरोपित पर केस दर्ज करवाए और मामले को अदालत तक ले जाए, लेकिन अधिकारी ऐसा करने में नाकाम रहे।

किसान आयोग के चेयरमैन ने उठाया था मामला

पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने यह मामला उठाया था। कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने विभाग से सभी जिलों से नकली कीटनाशक, बीज और रासायनिक खादों के सैैंपल फेल होने और आरोपितों के खिलाफ अदालती कार्यवाही की सूची मांगी थी। पता चला कि एक-दो को छोड़कर बाकी केसों को अधिकारियों ने अदालत तक पहुंचाए ही नहीं। अधिकारियों की इसी लापरवाही के कारण नकली कीटनाशक बेचने वालों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं।


किसानों के आर्थिक संकट से जुड़ा है मामला

अजयवीर का कहना है कि किसानों पर छाए आर्थिक संकट से यह मामला सीधा जुड़ा हुआ है। नकली कीटनाशकों, बीजों आदि के कारण ही किसानों की फसल बर्बाद होती है। इस घाटे से निकलने के लिए वह कर्ज लेता है और इसके जाल में उलझता जाता है। अगर अधिकारी सही तरीके से काम करें और नकली कीटनाशक, नकली बीज व दवाएं आदि बेचने वालों पर नकेल कसें तो किसानों को काफी हद तक संकट से उबारा जा सकता है।
 


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