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चंडीगढ़ की सड़कों पर नहीं दिखेंगे Stray Cattle, बरसाना की तर्ज पर नगर निगम करेगा विशेष इंतजाम

बरसाना की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी नई गोशाला बनेगी। इसमें गायों के लिए बेहतरीन सुविधाएं होंगी। नगर निगम चंडीगढ़ की टीम बरसाना में गोशाला का ग्राउंड सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करेगी। हरियाणा की आदर्श गोशाला का मॉडल भी देखकर बेस्ट प्रेक्टिस अपनाई जाएंगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 10:58 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 10:58 AM (IST)
चंडीगढ़ की सड़कों पर नहीं दिखेंगे Stray Cattle, बरसाना की तर्ज पर नगर निगम करेगा विशेष इंतजाम
चंडीगढ़ में लावारिस पशुओं की बहुत बड़ी समस्या है। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। सिटी ब्यूटीफुल में स्ट्रे कैटल नहीं नजर आएंगे। बरसाना की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी नई गोशाला बनेगी। इसमें गायों के लिए बेहतरीन सुविधाएं होंगी। उनकी देखभाल और खान-पान के लिए उत्तम तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम चंडीगढ़ की टीम बरसाना में गोशाला का ग्राउंड सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करेगी। हरियाणा की आदर्श गोशाला का मॉडल भी देखकर बेस्ट प्रेक्टिस अपनाई जाएंगी। गोशाला को बनाने के लिए काउ फीस का पैसा ही खर्च किया जाएगा। काउ फीस लगने के बाद नगर निगम को सालाना 20 करोड़ रुपये मिलने लगे हैं। इससे गोशाला के ऑपरेशन, मेंटीनेंस और डेवलपमेंट के सभी खर्च पूरे हो जाएंगे। अतिरिक्त बोझ नगर निगम पर नहीं पड़ेगा। इसमें 2.72 करोड़ रुपये साल भर के चारा खर्च आता है।

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चंडीगढ़ में लावारिस पशुओं की बहुत बड़ी समस्या है। खासकर सर्दियों में रात में ये मौत बनकर सड़कों पर घूम रहे हैं। हर साल कई जानें इनकी चपेट में या हादसे की वजह से जाती हैं। नगर निगम की टीम लगातार शिकायत के बाद भी इन्हें पकड़ नहीं पाती है। कहीं न कहीं इन जानवरों को रखने पर आने वाले खर्च की वजह भी आड़े आ जाती रही है। सेक्टरों की अंदरूनी सड़कों से लेकर मुख्य मार्गों पर भी यह अकसर देखे जा सकते हैं। अब काउ फीस से आया पैसा नगर निगम के पास होगा, जिससे स्ट्रे कैटल मैनेजमेंट में खर्च कर समस्या को दूर किया जा सकता है।

हर नए वाहन और शराब की बोतल से मिल रही काऊ फीस

इसी साल काउ फीस चंडीगढ़ में लागू की गई है। कोई भी नया वाहन चंडीगढ़ में पंजीकृत होता है तो उस पर 500 रुपये काउ फीस लगने लगी है। इसी तरह से शराब की हर बोतल की बिक्री पर भी काउ फीस लगाई गई है। तीसरा बिजली पर भी इसे लागू किया गया है। बिल में ही यह जुड़ कर आती है। ट्रांसपोर्ट, एक्साइज एंड टैक्सेशन और इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट तीनों ही काउ फीस का पैसा नगर निगम को ट्रांसफर करते हैं। जिससे एमसी को सालाना 20 करोड़ रुपये रेवेन्यू के तौर पर मिलने लगे हैं। पंजाब और हरियाणा में पहले से ही काउ फीस ली जाती है।

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