चंडीगढ़ स्कूल बस एसोसिएशन की रोड टैक्स माफ करने की मांग, कहा- स्कूल बंद, बसें नहीं चलते से बैंक किस्त देना भी मुश्किल
चंडीगढ़ स्कूल बस ओपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने यूटी प्रशासन से मांग की है कि उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें राहत दी जाए। एसोसिएशन के सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी आर्थिक स्थिति को बयां करते हुए रोड टैक्स माफ करने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। कोरोना महामारी का शिक्षा के क्षेत्र पर सबसे बुरा असर पड़ा है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा हर वर्ग इससे प्रभावित हुआ है। इनमें स्कूल बस ऑपरेटर्स भी शामिल हैं। महामारी के चलते स्कूल बंद रहने के वजह से बसें नहीं चल रही हैं। वहींं, दूसरी ओर बसों के न चलने के बावजूद बस ऑपरेटर्स को टैक्स देना पड़ा रहा है।
चंडीगढ़ स्कूल बस ओपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने यूटी प्रशासन से मांग की है कि उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें राहत दी जाए। चंडीगढ़ से ट्राईसिटी के लिए लगभग पांच सौ से भी अधिक स्कूल बसों का संचालन करने वाली इस एसोसिएशन ने सोमवार को सेक्टर-27 स्थित प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में यूटी प्रशासन से गुहार लगाई कि उन्हें रोड टैक्स के मुक्त किया जाए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मनजीत सिंह सैनी ने कहा कि गत डेढ़ वर्ष से स्कूली बसों का संचालन पूरी तरह से रुका हुआ, जिसके चलते बस मालिकों के साथ साथ बस संबधी स्टाफ ड्राइवरों और कंडक्टर का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कई बस मालिकों को अपनी बसों की किस्त निकालना तक मुश्किल हो गया है।
सैनी ने प्रशासन से आग्रह किया है कि स्कूली बसों का रोड टेक्स से वर्ष मार्च 2020 से मार्च 2022 तक मुक्त किया जाए। अपनी एक अन्य मांग में उन्होंने यूटी प्रशासन से आग्रह किया है कि रोड टैक्स या फिटनेस टेस्ट पर लेट फीस और जुर्माने को माफ किया जाए। क्योंकि सड़क और परिवहन मंत्रालय के एक नोटिफिकेशन के चलते इसे मंजूरी दे दी गई है। अब यूटी प्रशासन ने स्कूलों को अभिभावकों की अनुमति के साथ पांचवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं को खोलने के निर्देश दिए हैं। विभिन्न स्कूलों द्वारा एकत्रित किए गए डाटा के अनुसार अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने के साथ साथ बस सुविधा का इस्तेमाल करने में अत्यंत कम रुचि दिखाई है जो कि बस आपरेटरों के लिए चिंता का विषय है।
ऑनलाइन क्लासेस के चलते, स्कूलों का पूरी कैपेस्टी में संचालन करना अभी अनिश्चित है, जिससे की बस आपरेटरों का भी भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है। एसोसिएशन ने यह भी मांग की है कि मोहाली जिले के सीमा क्षेत्र तक रेसिप्रोकल सिस्टम आफ टैक्स का विस्तार किया जाए जिसके अंतर्गत पंचकूला, मोहाली और चंडीगढ़ की स्कूली बसों को ट्राईसिटी में बिना झंझट के किसी भी रूट पर चलाना संभव हो पाएगा। इस संदर्भ में एसोसिएशन पंजाब के राज्यपाल, स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के साथ साथ ट्राईसिटी के संबंधित परिवहन अधिकारियों के साथ बैठकें भी कर चुका है। इसी कड़ी में तीनों राज्यों के स्टेट ट्रांसपोर्ट कमीशनर गत 11 फरवरी 2020 को एक बैठक कर चुके हैं जिसमें पंजाब के परिवहन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने प्रोपोजल को मंजूरी दे दी थी, जिसमें चंडीगढ़ की स्कूली रजिस्टर्ड बसें मोहाली जिले में चल सकती हैं। वहीं महासचिव जीवन रत्न शर्मा ने यह भी मांग की है कि उनके बसों की सीमा अवधि 15 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष की जाए जिससे की आपरेटरों द्वारा उठाया गया घाटा कम किया जा सके।