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चंडीगढ़ के प्रदीप डोगरा को मिला ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2020, सामर्थ्य सेवा संगठन जयपुर ने किया सम्मानित

शहर के चंडीमंदिर स्थित आशा स्कूल में स्पोर्ट्स कोच प्रदीप डोगरा को समार्थ्य ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2020 मिला है। प्रदीप डोगरा बीते तीन सालों से आशा स्कूल चंडीगढ़ में स्पेशल कोच के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 03:52 PM (IST)
चंडीगढ़ के प्रदीप डोगरा को मिला ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2020, सामर्थ्य सेवा संगठन जयपुर ने किया सम्मानित
प्रदीप डोगरा को समार्थ्य ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया गया।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ के चंडीमंदिर स्थित आशा स्कूल में स्पोर्ट्स कोच प्रदीप डोगरा को समार्थ्य ग्लोबल एक्सीलेंस अवॉर्ड 2020 मिला है। उन्हें यह सम्मान 28 फरवरी को राजस्थान में आयोजित कार्यक्रम में सामथ्र्य सेवा संगठन जयपुर की तरफ से दिया गया।

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प्रदीप डोगरा बीते तीन सालों से आशा स्कूल चंडीगढ़ में स्पेशल कोच के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं जबकि इससे पहले वह चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में करीब नौ सालों तक स्पेशल कोच के तौर पर सेवाएं दे चुके है। शिक्षा विभाग द्वारा कार्यमुक्त होने के बाद प्रदीप ने एथलेटिक्स कोच के तौर पर आशा स्कूल को ज्वाइन किया था। जिसमें काम करते हुए वर्ष 2019 में स्पेशल गेम्स में सिल्वर मेडल चंडीगढ़ को दिलाया था।  

स्पेशल चिल्ड्रन को खेलों की देते है ट्रेनिंग

प्रदीप डोगरा एथलेटिक्स के कोच है। वर्ष 2019 में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम में 25 वर्षीय नैन्सी सौ और दो सौ मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल हासिल कराने में प्रदीप की अहम भूमिका रही है। सिल्वर मेडल हासिल करने वाली नैन्सी मानसिक रूप से बीमार है जो कि न तो बोल सकता है और न ही ठीक से समझ सकती है। नैन्सी को प्रदीप बीते दो तीन सालों से ही ट्रेनिंग दे रहे थे।  

भविष्य में भी जारी रखूंगा प्रयासः डोगरा

हिमाचल प्रदेश हमीरपुर जिले के रहने वाले प्रदीप डोगरा ने बताया कि वर्ष 2009 से खेल के क्षेत्र में काम कर रहा हूं। इसी कड़ी में प्रयास करते हुए मेरे द्वारा ट्रेंड किए गए स्टूडेंट्स को सिल्वर मेडल मिला है। इस प्रकार का प्रयास भविष्य में भी जारी रखा जाएगा। इससे पहले चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में भी स्पेशल काेच के तौर पर सेवाएं दे रहा था लेकिन विभाग ने सैलरी आधा करने के बाद प्रदीप को कार्यमुक्त कर दिया था।

सरकारी स्कूलों में नहीं है कोई भी स्पेशल कोच

शहर के 115 सरकारी स्कूलों में तीन हजार से ज्यादा दिव्यांग स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। शहर के स्कूलों में 20 प्रकार की डिसेएबिल्टी है। इस समय शहर के किसी भी स्कूल में दिव्यांग स्टूडेंट्स को खेलों से जोड़ने के लिए कोई कोच नहीं है।


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