सैंपल और रिपोर्ट से नहीं हो सकेगी छेड़छाड़, सीपीसीसी ने सैंपल टेस्टिंग के लिए बनाई इनहाउस लैब
चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) ने इंडस्ट्री से लिए जाने वाले सैंपलों की टेस्टिंग के लिए इनहाउस लैब सेटअप कर ली है। कमेटी ने अपना लीगल पैनल भी तैयार कर लिया है। अब सीपीसीसी इंडस्ट्री को मनमानी से रोकने में कामयाब होगी।
चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। इंडस्ट्री यूनिट अब पॉल्यूशन से जुड़े आंकड़ों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं कर सकेंगी। किसी भी जोन की इंडस्ट्री से हो रहे पॉल्यूशन की जानकारी सैंपलिंग से जानकारी मिल जाएगी। सैंपलिंग और उसकी रिपोर्ट से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) ने इंडस्ट्री से लिए जाने वाले सैंपलों की टेस्टिंग के लिए इनहाउस लैब सेटअप कर ली है। इसी लैब में अब सभी तरह की टेस्टिंग होगी। सीपीसीसी के सीनियर साइंटिस्ट की देखरेख में लैब काम करेगी।
इससे पहले सैंपल लेने के बाद इन्हें टेस्टिंग के लिए प्राइवेट लैब के पास भेजा जाता था। कई बार इंडस्ट्री लैब को प्रभाव में लेकर रिपोर्ट को बदलवा लेते थे। रिपोर्ट से छेड़छाड़ हो जाती थी, जिससे कोर्ट में सीपीसीसी लीगल तौर पर कमजोर पड़ जाने से कार्रवाई नहीं करवा पाती थी।
लीगल पैनल भी किया तैयार
सीपीसीसी ने पॉल्यूशन संबंधी मामलों पर कार्रवाई करने और कोर्ट में मजबूती से पैरवी के लिए अपना लीगल पैनल भी तैयार किया है। इससे कोई भी मामला लटकेगा नहीं। साथ ही समय रहते मजबूती से जवाबतलबी हो सकेगी। अभी तक सीपीसीसी लीगल मामलों में पैनल की वजह से कमजोर पड़ जाती थी। अपनी लैब की सैंपल रिपोर्ट और लीगल पैनल से सीपीसीसी इंडस्ट्री को मनमानी से रोकने में कामयाब होगी।
तीन केटेगरी में बांटी गई इंडस्ट्री
पॉल्यूशन संबंधी डाटा के हिसाब से इंडस्ट्री को रेड, ग्रीन और ऑरेंज केटेगरी में बांटा गया है। चंडीगढ़ में करीब 3500 छोटी-बड़ी इंडस्ट्री यूनिट हैं। रेड केटेगरी में यहां कोई इंडस्ट्री नहीं है। ग्रीन और ऑरेंज केटेगरी की इंडस्ट्री अधिक है। इंडस्ट्री प्रकार, पॉल्यूशन को देखते हुए केटेगरी तय की गई है। सीपीसीसी इंडस्ट्री से पानी, धुएं और सीवरेज संबंधी सैंपल लेती है।
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