चंडीगढ़ नगर निगम का सदन बना राजनीतिक अखाड़ा, फॉसवेक की नसीहत, शहर के विकास के लिए मिलकर करें काम
फॉसवेक के मुख्य प्रवक्ता पकंज गुप्ता ने कहा कि नगर निगम की वर्ष की पहली बैठक में जिस प्रकार पार्षदों द्वारा हंगामा किया गया यह अत्यंत चिंताजनक है। ऐसे में नगर निगम का सदन राजनीतिक अखाड़ा बन चुका है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। 24 जनवरी को हुई चंडीगढ़ नगर निगम की सदन की बैठक में पार्षदों ने खूब हंगामा किया था। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा मेयर सरबजीत कौर को मेयर मानने से भी मना कर दिया। बैठक में हंगामे पर शहर की संस्था फेडरेशन ऑफ सेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशनस ऑफ चंडीगढ़ (फॉसवेक) ने चिंता जताई है। फॉसवेक के मुख्य प्रवक्ता पकंज गुप्ता ने कहा कि नगर निगम की वर्ष की पहली बैठक में जिस प्रकार पार्षदों द्वारा हंगामा किया गया यह अत्यंत चिंताजनक है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों द्वारा सरबजीत कौर को मेयर न मानना अपने आप में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति के लिए भाजपा कहीं न कहीं जिम्मेदार है। अगर मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा आम आदमी पार्टी के एक पार्षद का वोट रद न किया जाता तो आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों के पास बराबर-बराबर वोट होते। ऐसी स्थिति में ड्रॉ द्वारा ही मेयर चुना जाता और इस प्रकार चुने गए मेयर पर किसी को एतराज न होता।
बता दें कि मेयर चुनाव में भाजपा और आप दोनों के पास 14-14 वोट थे और कांग्रेस ने मेयर चुनाव में न तो उम्मीदवार खड़ा किया था और न ही कांग्रेस पार्षदों ने मतदान किया था। गुप्ता का कहना है कि राजनीतिक दलों, पार्षदों और नगर निगम के अधिकारियों का भी आपस में सामंजस्य बना रहना चाहिए, जिससे शहर का विकास होगा। लेकिन नगर निगम का सदन राजनीति का अखाड़ा बन गया है। कई महत्वपूर्ण एजेंडा अधर में लटके रह गए और कई बिना चर्चा के ही आनन-फानन में पास कर दिए गए। इसका खामियाजा शहर के लोगों भुगतना पड़ सकता है।
फेडरेशन ऑफ सेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशनस ऑफ चंडीगढ़ (फॉसवेक) सभी राजनीतिक दलों और पार्षदों का आह्वान करती है कि शहर के विकास के लिए मिलकर चलें और घटिया राजनीति से बचें। इस समय शहरवासी भी नगर निगम भंग कर फिर से चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं। अकाली दल के अध्यक्ष हरदीप सिंह ने इस संबंध में प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को पत्र भी लिखा है। वहीं अब भाजपा के भी कई हारे हुए उम्मीदवार फिर से चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से अभी तक मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति नहीं की है।