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चंडीगढ़ नगर निगम में मनोनीत पार्षद को मतदान का अधिकार मिलेगा या नहीं, कल चलेगा पता

भाजपा के कई दिग्गज नगर निगम चुनाव में हार गए हैं। वे भी मनोनीत पार्षद बनने की कोशिश में हैं। भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद खुद चुनाव नहीं लड़े। उनका नाम भी इस रेस में है। इसके अलावा पूर्व मेयर देवेश मौदगिल सहित कई पूर्व पार्षद का नाम चल रहा है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 11:53 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 11:53 AM (IST)
चंडीगढ़ नगर निगम में नौ पार्षद मनोनीत किए जाते हैं। सांकेतिक चित्र।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम चुनाव के बाद मनोनीत पार्षदों (नामिनेटिड पार्षद्स) को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। अब चर्चा यह है कि उन्हें मतदान का अधिकार मिलेगा या नहीं। इस मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। हालांकि अभी यह भी तय नहीं है कि मंगलवार को सुनवाई होगी भी या न नहीं। बता दें कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने इन पार्षदों को वोटिंग का अधिकार देने पर रोक लगा रखी है। उस फैसले को यूटी प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। अब देखना यह होगा सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देते हैं।

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लग रही दौड़

मनोनीत पार्षद के लिए जिसका जहां बस चल रहा है, वहां सिफारिशें हो रही हैं। राजनीतिक नेताओं के साथ प्रशासनिक अधिकारियों तक पर इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस समय 600 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो मनोनीत पार्षद बनना चाहते हैं। अपना नाम फाइनल कराने के लिए अपना पूरा प्रोफाइल भेजा जा रहा है। यूटी प्रशासक इन पार्षद को मनोनीत करते हैं। चंडीगढ़ में नौ पार्षद मनोनीत किए जाते हैं। 26 जनवरी से पहले प्रशासक इन्हें मनोनीत कर दिया जाएगा।

भाजपा के दिग्गज भी दौड़ में

भाजपा के कई दिग्गज इस नगर निगम चुनाव में हार गए हैं। वे भी मनोनीत पार्षद बनने की कोशिश में हैं। भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद खुद चुनाव नहीं लड़े। उनका नाम भी इस रेस में है। इसके अलावा पूर्व मेयर देवेश मौदगिल सहित कई पूर्व पार्षद का नाम चल रहा है। इस बार चुनाव में भाजपा के 12, आप के 14 और कांग्रेस के आठ पार्षद जीते थे। हालांकि कांग्रेस पार्षद हरप्रीत कौर बबला अपने पति देवेंद्र बबला सहित अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा देवेंद्र बबला को मनोनीत पार्षद बनवा सकती है। आप एमसी हाउस में मजबूत विपक्ष की भूमिका में होगी। इसलिए भाजपा जवाब के लिए कई वरिष्ठ नेताओं को नॉमिनेट कर भेजने की तैयारी में है।

गैर राजनीतिक लोगों के भी चल रहे नाम

मनोनीत पार्षद के लिए पूर्व चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद, व्यापारी नेता संजीव चड्ढा, अमित जिंदल, कमलजीत पंछी और व्यापार मंडल के अध्यक्ष चिरंजीव का नाम भी दावेदारों में शामिल है।सीनियर ट्रैफिक मार्शल सुरेश शर्मा का नाम भी चल रहा है।भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद को भी दावेदार अपना बायोडाटा भेज रहे हैं। भाजपा की तरफ से संभावित उम्मीदवारों के नाम पार्टी हाईकमान को भेजे गए हैं। हालांकि अंतिम मुहर प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित लगाएंगे। प्रशासन की ओर से संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है।

कांग्रेस और आप ने प्रशासक को लिखा पत्र

आप के बाद अब कांग्रेस ने भी प्रशासक को पत्र लिखकर मनोनित पार्षद क्षेत्र विशेष के एक्सपर्ट को बनाने का आग्रह किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने अपने पत्र में कहा कि भाजपा पहले भी अपने नेताओं को मनोनित पार्षद बनाती रही है। इस बार किसी राजनीतिक दल की बजाए हर क्षेत्र के एक्सपर्ट को यह मौका मिलना चाहिए। नहीं तो कांग्रेस और आप के दो-दो नामों को भी इस सूची में शामिल करना चाहिए।

मनोनित पार्षद के पास नहीं वोटिंग का अधिकार

पहली बार मेयर चुनाव मनोनित पार्षद नियुक्त होने से पहले संपन्न हुए हैं। भाजपा के पार्षद को ही इलेक्शन ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया था। अगले सप्ताह प्रशासन की ओर से नए मनोनीत पार्षद की सूची जारी कर दी जाएगी।साल 2016 में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर मनोनीत पार्षदों से वोट का अधिकार वापस ले लिया गया था। इस फैसले को प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। 18 जनवरी को इस मामले में फैसला आ सकता है। इसको देखते हुए मनोनित पार्षदों के मनोनित होने में देरी हो रही है।


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