Move to Jagran APP

चंडीगढ़ निगम चुनाव में अपनो ने ही हराए कांग्रेस के उम्मीदवार, खिलाफत करने वालों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं

चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने 35 में से आठ सीटें जीती थीं जिनमें से पार्षद हरप्रीत कौर बबला बाद में भाजपा में शामिल हो गई। नगर निगम चुनाव में 50 फीसद सीटें ऐसी थी जिसमें पार्टी के ही नेताओं ने पार्टी के खिलाफ काम किया।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 09:52 AM (IST)
चंडीगढ़ निगम चुनाव में अपनो ने ही हराए कांग्रेस के उम्मीदवार, खिलाफत करने वालों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं
कांग्रेस में खिलाफत करने वाले नेताओं पर कार्रवाई की मांग उठ रही है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में मेयर चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष के साथ विवाद के बाद पार्टी हाईकमान ने देवेंद्र सिंह बबला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद बबला पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन अब पार्टी में यह सवाल उठ रहा है कि जिन नेताओं ने चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किया, पार्टी उम्मीदवारों को हराने का प्रयास किया उनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अभी तक पार्टी की ओर से ऐसे नेताओं की पहचान करके नोटिस तक जारी नहीं किए गए हैं।

loksabha election banner

बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने 35 में से आठ सीटें जीती थीं, जिनमें से पार्षद हरप्रीत कौर बबला बाद में भाजपा में शामिल हो गई। नगर निगम चुनाव में 50 फीसद सीटें ऐसी थी जिसमें पार्टी के ही नेताओं ने पार्टी के खिलाफ काम किया। कई नेता तो खुलकर विरोधी उम्मीदवारों की मदद कर रहे थे। कुछ नेताओं ने टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा, जिससे पार्टी के उम्मीदवार हार गए। कांग्रेस ने चुनाव के 15 दिन बीत जाने के बाद उनपर कार्रवाई नहीं की।

इन नेताओं ने की खिलाफत

बापूधाम में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ किशन लाल ने चुनाव लड़ा। जिससे कांग्रेस के रवि ठाकुर चुनाव हार गए। ऐसा ही इंदिरा कालोनी की सीट पर भी हुआ। पलसौरा में भी कांग्रेस उम्मीदवार जगजीत कंग के खिलाफ चंद नेताओं ने काम किया। वार्ड नंबर-15 में भी बागी होकर कांग्रेस नेता लखविंदर सिंह ने चुनाव लड़ा जिससे कांग्रेस के उम्मीदवार धीरज गुप्ता चुनाव हार गए। इस सीट पर प्रेम पाल चौहान ने भी चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की। कांग्रेस ने अभी तक समीक्षा बैठक नहीं बुलाई है, जिसका हारे हुए उम्मीदवार इंतजार कर रहे हैं ताकि वह चुनाव के दौरान जिन लोगों ने पार्टी खिलाफ काम किया उनपर कार्रवाई की जा सके।

भाजपा रही कार्रवाई में आगे

वहीं, भाजपा ने चुनाव के दौरान ही पार्टी के खिलाफ काम करने वाले उम्मीदवारों को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। भाजपा ने करीब 12 से ज्यादा नेताओं को पार्टी से बाहर किया था। भाजपा प्रवक्ता कैलाश जैन ने बताया कि हाईकमान से मंत्रणा और ग्रांउड रिपोर्ट के बाद वार्ड नंबर तीन से गोपाल अत्री, वार्ड नंबर आठ से सोहन सिंह, वार्ड नंबर 15 से सुरेश गुप्ता, वार्ड नंबर 21 से सुनीता शर्मा और वार्ड नंबर 35 से जेजे सिंह को छह साल क लिए निष्काषित कर दिया गया है। मालूम हो कि वार्ड नंबर-17 से अकाली दल की टिकट पर नामांकन भरने वाले कुलमीत सोढ़ी को भी बाहर कर दिया था लेकिन बाद में वह रविकांत शर्मा के समर्थन में बैठ गए थे और भाजपा में फिर से शामिल हो गए थे। वार्ड नंबर नौ से बागी होकर अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाने वाले गुरप्रीत सिंह हैप्पी, बीस नंबर वार्ड से कृपा नंद ठाकुर, वार्ड नंबर 26 से नरेंद्र चौधरी, वार्ड नंबर 32 से मुकेश गोयल और अश्वनी गुप्ता के आचरण को पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हुए कार्रवाई की थी, उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.