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चंडीगढ़ में 'पिएं गिलोय रहें निरोग' का नारा देने वाले दारोगा प्रभुनाथ को सम्मानित करेंगी मेयर

वन दारोगा शाही कोरोना काल में लोगों तक गिलोए के टुकड़े पहुंचा रहे हैं। वह हर किसी को रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए गिलोय का काढ़ा पीने के लिए प्रेरित करते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 04:59 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 04:59 PM (IST)
चंडीगढ़ में 'पिएं गिलोय रहें निरोग' का नारा देने वाले दारोगा प्रभुनाथ को सम्मानित करेंगी मेयर
चंडीगढ़ में 'पिएं गिलोय रहें निरोग' का नारा देने वाले दारोगा प्रभुनाथ को सम्मानित करेंगी मेयर

चंडीगढ़, जेेएनएन। कोरोना काल में यूटी प्रसाशन के कई कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर समाज सेवा की है। इन्हीं में से एक हैं वन विभाग के दारोगा प्रभुनाथ साही। वह पिछले चार महीने से गिलोए के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं ताकि रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर लोगों की महामारी से बचने में मदद हो सके। उनके इस शानदार कार्य के लिए स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें 'कोरोना योद्धा' के रूप में मेयर राजबाला मलिक सम्मानित करेंगी।

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प्रभुनाथ शाही भारतीय वायु सेना के पूर्व फ्लाइट इंजीनियर हैं। वह ड्यूटी और विभागीय कार्यों के बाद हमेशा लोगों को औषधीय पौधों के उपयोग के लिए जागरूक करते रहते हैं। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए उनका  नारा है- हमारा पर्यावरण हमारा भगवान। शाही ने कोरोना महामारी आने के बाद रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले गिलोय का खूब प्रचार-प्रसार किया। वह गरीब से लेकर अमीर तक सबको गिलोय का काढ़ा पीने के लिए प्रेरित करते रहे। स्वयं चंडीगढ़ में फैले विभिन्न क्षेत्रों में गिलोय को इकट्ठा कर उसके टुकड़े बनाएं और कुछ स्वयंसेवी लोगों और समाजसेवी संगठनों के साथ मिलकर तक लोगों तक निःशुल्क पहुंचाने का कार्य शुरू किया। लॉकडाउन लगने के बाद भी वह इस काम से पीछे नहीं हटे। उन्होंने एक कॉल पर लोगों को ट्राइसिटी के अंदर गिलोय पहुंचाया।

दूर-दूर से लोग कॉल करके लेते हैं जानकारी

अब तो जीरकपुर, डेराबस्सी, बद्दी, अंबाला, पिंजौर के लोग भी उनके पास गिलोय के लिए पहुंचते हैं। लोगों के कॉल आने पर शाही उनको गिलोय की पहचान और उसके उपयोग के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। इस कार्य में  उनकी पत्नी रीमा और बेटा- बेटी भी उनका सहयोग करते हैं। विभाग के काम निपटाने के बाद प्रतिदिन 2 से 3 घंटे शाम को गिलोय के पैकेट को तैयार करना और ड्यूटी जाने से पहले संबंधित लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था करना उनकी दिनचर्या की विषय बन गया है। औषधीय पौधों की मांग को देखते हुए शाही ने अब अश्वगंधा, कालमेघ आदि पौधों पर काम करने का निर्णय लिया है। 

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