आपातकाल में सरकार विरोधी लोगों के साथ होता था अपराधियों की तरह बर्ताव
आपातकाल के दौरान सत्यपाल जैन एक साल तक जेल में रहे। इस दौरान पुलिस ने उनके साथ न सिर्फ मारपीट की बल्कि उन्हें बिजली झटके देकर यातना भी दी।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। आपातकाल को देश के लोकतंत्र का काला अध्याय यूं ही नहीं माना जाता है। उन दिनों सरकार विरोधी लोगों के साथ कैदियों जैसा बर्ताव किया जाता था। ऐसे लोगों से कोई भी न तो बातचीत कर पाता और न ही परिजन उनसे संपर्क कर पाते थे। अगर कोई उनसे संपर्क की कोशिश करता था तो पुलिस उसे भी जेल में डाल देती थी। यह कहना है देश के अपर सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन का। जैन बताते हैं कि वह उस समय पंजाब विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई कर रहे थे और छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे।
आपातकाल के दौरान सत्यपाल जैन एक साल तक जेल में रहे। इस दौरान पुलिस ने उनके साथ न सिर्फ मारपीट की बल्कि उन्हें बिजली झटके देकर यातना भी दी। पुलिस जानना चाहती थी कि इमरजेंसी विरोधी पोस्टर कौन और कहां से प्रकाशित कर रहा है, लेकिन जैन ने पुलिस को कुछ नहीं बताया, वह चंडीगढ़ जेल में सबसे कम उम्र (23 साल) के कैदी थे। उस साल वह परीक्षा में भी नहीं बैठ सके थे।
1857 के जेल मैन्यूल के मुताबिक दी जाती थी कैदियों को डाइट
तत्कालीन जनसंघ के महासचिव और इस आंदोलन में चंडीगढ़ इकाई के संचालक देसराज टंडन बताते हैं कि शहर के 21 लोगों पर आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) लगाया गया था। जेलों में खाने की व्यवस्था यह थी कि 1857 जेल मैन्यूल के मुताबिक कैदियों को खाना दिया जाता था। किताबों को पढऩे तक की छूट नहीं थी। जेलों में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल था। सर्दियों में कैदी रातभर ठिठुरते रहते थे। तमाम सुरक्षा एजेंसियां इमरजेंसी विरोधियों को दबाने में जमकर मानवाधिकारों का शोषण कर रही थीं।
न दलील, न अपील, न वकील
न दलील, न अपील, न वकील, लगता नहीं था कि अब दोबारा कभी हालात सामान्य होंगे। यह कहना है तत्कालीन जनसंघ के सेक्रेटरी रहे जीतेंद्र चोपड़ा का। जीतेंद्र बताते हैं कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने साथियों के साथ सेक्टर 19 सी की मार्केट में एमरजेंसी के खिलाफ नारेबाजी की थी, वह डेढ़ साल साल तक जेल में रहे, शुरुआत में पुलिस ने बहुत तंग किया। हमें न तो परिवार के साथ मिलने की छूट थी और खाने पीने की व्यवस्था थी। अखबारों तक पर सेंसर लगा दिया था, लेकिन लोगों के लोकतंत्र की रक्षा के लिए इस लड़ाई को बखूबी लड़ा।
जयप्रकाश नारायण को ढाई माह तक रखा गया था चंडीगढ़ में
सत्यपाल जैन बताते हैं कि इंदिरा के विरुद्ध विपक्ष को एकत्र करने वाले जय प्रकाश नारायण भी इस दौरान ढाई महीने तक चंडीगढ़ में रहे। जहां उन्हें नजरबंद कर पीजीआइ में उनका इलाज करवाया गया। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और विजय मल्होत्रा जैसे नेताओं को चंडीगढ़ जेल में रखा गया।
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