Punjab Local body Elections: निकाय चुनाव पर रणनीति के लिए नड्डा ने बुलाई पंजाब भाजपा की बैठक
Punjab Local body elections पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव जल्द ही होनेवाले हैं और सभी दल इसकी तैयारियों में जुट गई हैं। भाजपा भी इसके लिए रणनीति बनाने में लगी है। रणनीति बनाने को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पंजाब के नेताओं की बैठक बुलाई है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। Punjab Local Body Elections: पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव और राज्य के ताजा राजनीतिक हालातों को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश के नेताओं को दिल्ली बुला लिया है। पंजाब के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा, संगठन मंत्री दिनेश कुमार और पार्टी महासचिव जीवन गुप्ता दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। माना जा रहा है कि आज को भाजपा नेताओं के साथ बैठक होगी। समें निकाय चुनाव को लेकर पार्टी की गतिविधियों पर चर्चा होगी।
जहां किसानों का प्रभाव वहां कमल निशान पर चुनाव लड़ने से कतरा रहे भाजपा उम्मीदवार
दूसरी तरफ दो दशक से भी लंबे समय के बाद शिअद के साथ गठबंधन टूटने के बाद पंजाब में अकेले निकाय चुनाव लड़ने उतर रही भारतीय जनता पार्टी पर किसान आंदोलन का दबाव दिख रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है लेकिन जिन चुनावी क्षेत्रों में ग्रामीण का हिस्सा ज्यादा है और वहां किसानों का प्रभाव है वहां पर भाजपा के उम्मीदवार पार्टी के चुनाव निशान कमल पर चुनाव लड़ने से कतरा रहे हैं। हालांकि पार्टी यह दबाव बना रही है कि चुनाव पार्टी के निशान पर ही लड़ा जाए। अहम पहलू यह है कि पार्टी पर सबसे ज्यादा दबाव मालवा क्षेत्र में ही देखने को मिल रहा है। माझा और दोआबा में कमोवेश मालवा से बेहतर है।
भाजपा के लिए 2302 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती, दिख रहा किसान आंदोलन का दबाव
स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के लिए परेशानी यह है कि पहली बार वह अकेले आठ नगर निगमों और 109 नगर परिषद व नगर पंचायतों में चुनाव लड़ने के उतर रही है। भले ही भाजपा राज्य के सभी जिलों में अपना समुचित आधार का दावा करती हो लेकिन कई सीटों पर उनके पास चुनाव लड़ने वाले चेहरे नहीं है। पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2302 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करना है। रही सही कसर किसान आंदोलन ने पूरा कर दिया है।
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कृषि सुधार कानून के विरोध में किसान आंदोलन के जरिये निशाने पर आई भाजपा के लिए परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों पर प्रत्याशी पार्टी चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। चूंकि मालवा किसानों का गढ़ है। इसलिए यह समस्या सबसे अधिक मालवा में ही देखने को मिल रही है। हालांकि पार्टी यह चाह रही है कि प्रत्याशी चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ें।
इसके लिए बाकायदा पार्टी की ओर से दबाव भी बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर चुनाव नामांकन से पहले कृषि बिलों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच कोई समझौता होता है तो प्रत्याशी चुनाव निशान पर ही लड़ेंगे अन्यथा पार्टी जिन सीटों पर किसानों का प्रभाव ज्यादा होगा वहां पर ¨सबल अलाट नहीं करेगी।
भाजपा अपने कमल निशान पर ही लड़ेगी चुनाव : सुभाष
भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है, भाजपा टिकट आवंटन की प्रक्रिया में जुटी हुई है। पार्टी अपने चुनाव निशान पर ही चुनाव लड़ेगी। वहीं, उनका कहना है कि पहले भी बी और सी श्रेणी की काउंसिलों में पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा जाता था। कमोवेश यही स्थिति सारी पार्टियों की ही है। इसलिए बगैर सिंबल के चुनाव लड़ने की बात गलत है।
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