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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में निर्माण को रेगुलर करने की सिफारिश, सरकारी जमीन को लेकर कमेटी ने कही ये बात

चंडीगढ़ में 62 हजार मकान हाउसिंग बोर्ड के हैं। इनमें से 80 फीसद में लोगों ने कोई न कोई जरूरत के अनुसार बदलाव किया हुआ है। इसे प्रशासन वायलेशन मानता है। अब इसी को रेगुलर किए जाने की सिफारिश की गई है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 11:59 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 12:03 PM (IST)
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में निर्माण को रेगुलर करने की सिफारिश, सरकारी जमीन को लेकर कमेटी ने कही ये बात
चंडीगढ़ में 80 फीसद लोगों ने कोई न कोई जरूरत के अनुसार बदलाव किया हुआ है। सांकेतिक फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हाउसिंग बोर्ड के मकानों में जरूरत के अनुसार बदलाव के लिए गठित कमेटी का भी मानना है कि शहरवासियों को राहत दी जाए। कमेटी का कहना है कि लोग लंबे समय-समय से बदलाव को मंजूर करने की मांग कर रहे हैं। कमेटी की बैठक में पूर्व मेयर पूनम शर्मा, चंडीगढ़ रेजिडेंट एसोसिएशन ऑफ वेलफेयर फेडरेशन (क्राफ्ड) के चेयरमैन हितेश पूरी, आर्किटेक्ट सुरिंदर बाहगा और अन्य उपस्थित रहे। इस बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिया कि नीड बेस चेंज को लेकर दो जोन बना दिए जाने चाहिए। जिस जोन में सरकारी जमीन पर निर्माण हुआ है, उसे रेगुलर नहीं किया जाना चाहिए। जिन्होंने अपने प्लाट के अंतर्गत ही निर्माण किया है, उनको रेगुलर कर देना चाहिए। इसके लिए लोगों से एकमुश्त फीस भी ले लेनी चाहिए।

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80 फीसद लोगों ने की वायलेशन

मालूम हो कि शहर में 62 हजार हाउसिंग बोर्ड के मकान हैं, जिनमें से 80 फीसद लोगों ने कोई न कोई जरूरत के अनुसार बदलाव किया हुआ है। इसे प्रशासन वायलेशन मानता है। बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा की गई कि जो वायलेशन के कारण मकानों के ट्रांसफर पर पाबंदी लगाई गई है, उस रोक को भी हटा देनी चाहिए।

मालूम हो कि लोगों को राहत देने के लिए प्रशासन ने पिछले साल एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की यह दूसरी बैठक हुई है। कमेटी की यह शिफारिश आगे बोर्ड में भेजी जाएगी, जिस पर अंतिम फैसला होगा। बैठक में इंडिपेंडेंट मकानों में फ्लोर एरिया रेशो बढ़ाने की मांग भी रखी गई है। सदस्यों ने कहा कि एस्टेट आफिस ने अपने मकानों में 70 फीसद तक छूट दी हुई है, जबकि सीएचबी के मकानों में अभी तक 55 प्रतिशत निर्माण की ही छूट है। उन्होंने कहा कि बोर्ड को एस्टेट आफिस की तर्ज पर जल्द इसे लागू करना चाहिए। इसके अलावा फ्लैट्स में बिना एनओसी लिफ्ट की अनुमति देने की भी मांग की है।

बैठक में सदस्यों ने सुझाव दिया कि नीड बेस चेंज को लेकर दो जोन बना दिए जाने चाहिए। ग्रीन जोन में निर्माण को नियमित कर दिया जाना चाहिए। जबकि रेड जोन में सरकारी जमीन पर जो निर्माण किया हुआ है, जिसे नियमित नहीं किया जा सकता है, उसे कुछ शुल्क लेकर लोगों को इस्तेमाल करने की इजाजत दे देनी चाहिए। ऐसी जमीन का अधिकार सीएचबी के पास ही रहेगा। कमेटी सदस्यों ने कहा कि बोर्ड को एस्टेट ऑफिस की तर्ज पर जल्द इसे लागू करना चाहिए। इसके अलावा फ्लैट्स में बिना एनओसी लिफ्ट की अनुमति देने की भी मांग की है। लिफ्ट की अनुमति न मिलने के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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