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चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के साढ़े 4 हजार अलॉटी डिफॉल्टर, 14.36 करोड़ रूपये बकाया

चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) पुनर्वास योजना के तहत 18 हजार फ्लैट अलॉट कर चुका है। लेकिन इनमें साढ़े चार हजार अलॉटी ऐसे हैं जो डिफॉल्टर हो चुके हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 11:17 AM (IST)
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के साढ़े 4 हजार अलॉटी डिफॉल्टर, 14.36 करोड़ रूपये बकाया
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के साढ़े 4 हजार अलॉटी डिफॉल्टर, 14.36 करोड़ रूपये बकाया

 जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) पुनर्वास योजना के तहत 18 हजार फ्लैट अलॉट कर चुका है। लेकिन इनमें साढ़े चार हजार अलॉटी ऐसे हैं, जो डिफॉल्टर हो चुके हैं। यह अपना रेंट ही जमा नहीं करा रहे। वह भी एक-दो महीने से नहीं, बल्कि सालों से ऐसा ही सिलसिला चल रहा है। वहीं सीएचबी के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सख्त एक्शन नहीं लेने की वजह से डिफॉल्टरों की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। गत दस सालों में जितने फ्लैट शहर में अलग-अलग जगह अलॉट किए हैं, उसके एक तिहाई से भी ज्यादा डिफॉल्टर हो चुके हैं। पुनर्वास योजना के तहत बनाया गया कोई प्रोजेक्ट ऐसा नहीं है, जहां डिफॉल्टर न हो। सेक्टर-38वेस्ट में पुनर्वास योजना स्मॉल फ्लैट-2006 के तहत जो फ्लैट अलॉट किए थे, उनमें से 1021 डिफॉल्टर हो चुके हैं। इनसे सीएचबी को 4 करोड़ 84 लाख रुपये लेने हैं। हालांकि सभी प्रोजेक्ट में सबसे ज्यादा डिफॉल्टर मौलीजागरां में हैं। यहां 1328 डिफॉल्टर हैं, जिन पर 1 करोड़ 93 लाख रुपये की देनदारी है।

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ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि जिन्हें पुनर्वास योजना के तहत प्रशासन फ्लैट बनाकर दे रहा है। वह मामूली किराया भी नहीं दे रहे हैं। 3 मार्च को ही सीएचबी ने मलोया में 4960 फ्लैट में से ढाई हजार फ्लैट अलॉटियों को हैंडओवर किए हैं। एक बेड रूम, हॉल के सेट का 800 रुपये महीना रेंट यहां अलॉटियों को जमा कराना है। 16 साल तक जमा कराने पर यह फ्लैट अलॉटी को ही ट्रांसफर हो जाएंगे। बावजूद इसके अलॉॅटी इतना रेंट भी जमा नहीं करा रहे। जबकि चंडीगढ़ में वन बेड रूम सेट का किराया 4 हजार रुपये से कम नहीं है। साथ ही पूरे कैंपस में स्कूल, कम्युनिटी सेंटर जैसी सभी तरह की सुविधाएं भी दी जा रही हैं।

पहले यहां अलॉट किए फ्लैट
प्रशासन शहर में रिहेबिलिटेशन स्कीम के तहत 25 हजार फ्लैट्स का निर्माण कर रहा है। जिसमें से 17 हजार 696 फ्लैट तैयार कर अलॉट किए जा चुके हैं। इनमें से मलोया के 4960 फ्लैट की अलॉटमेंट प्रक्रिया चल रही है। अलॉटमेंट लेटर के बाद बस पजेशन मिलना बाकी है। मलोया से पहले धनास में प्रशासन 8 हजार से अधिक फ्लैट्स की अलॉटमेंट कर चुका है। इसके अतिरिक्त सेक्टर-49, 38 वेस्ट, मौलीजागरां और सेक्टर-26 बापूधाम में भी प्रशासन ने रिहेबिलिटेशन स्कीम के तहत फ्लैट्स तैयार करके अलॉट किए हैं। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ में लोगों को मकान की चाबियां सौंपने आए थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथों धनास में रिहेबिलिटेशन स्कीम के तहत 8800 परिवारों को फ्लैट्स की चाबियां सौंपी थी। इन सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट में 1 हजार एकड़ से अधिक जमीन लग चुकी है। अकेले मलोया के 5 हजार फ्लैट और अन्य सुविधाओं के लिए 161.18 एकड़ जमीन इस्तेमाल हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अलग से करीब 100 एकड़ जमीन चिन्हित की जा चुकी है ।

किस जगह कितने डिफॉल्टर और राशि बाकी

प्रोजेक्ट          डिफॉल्टर          रेंट बकाया

रामदरबार         548               2 करोड़ 53 लाख

सेक्टर-49         906                3 करोड़ 59 लाख

सेक्टर-38वेस्ट  1021                4 करोड़ 84 लाख

मौलीजागरां      1328               1 करोड़ 93 लाख

इंडस्ट्रियल एरिया फेज-एक 103           47 लाख

सेक्टर-56 पलसौरा  555           1 करोड़

कुल अलॉटी- 4 हजार 461

कुल रेंट बकाया- 14 करोड़ 36 लाख रूपये

किस प्रोजेक्ट में कितने अलॉटी रेंट नहीं जमा करा रहे हैं। यह लिस्ट तैयार कराई गई है। इन लोगों से रिकवरी समय पर क्यों नहीं हो सकी, इस पर भी जवाबदेही तय की जाएगी। साथ ही अब डिफॉल्टर अगर बकाया रेंट जमा नहीं कराते तो अलॉटमेंट रद करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए रिकवरी टीम बनाई जा रही हैं। सभी को रेंट समय पर जमा कराना जरूरी है। -एके सिन्हा, चेयरमैन सीएचबी कम फाइनेंस सेक्रेटरी, चंडीगढ़।

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