चंडीगढ़ होम साइंस कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. सुधा बोलीं- कोरोना के कारण हंगर इंडेक्स में 94वें स्थान पर पहुंचा देश
चंडीगढ़ प्रशासन के सोशल वेलफेयर विभाग की तरफ से शुरू किए गए पोषण पखवाड़ा अभियान के तहत होम साइंस कॉलेज सेक्टर-10 ने वेबिनार का आयाेजन किया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर प्रशासक के सलाहकार की पत्नी लिपि परीदा मौजूद रहीं।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। कोरोना महामारी के चलते भारत दुनिया भर में हंगर इंडेक्स में 94वें स्थान पर आ चुका है। हंगर इंडेक्स में कुल 107 देश हैं जिसमें वर्तमान में भारत खराब स्थिति में है। यह कहना है होम साइंस कॉलेज सेक्टर-10 की प्रिंसिपल डॉ. सुधा कत्याल का। चंडीगढ़ प्रशासन के सोशल वेलफेयर विभाग की तरफ से शुरू किए गए पोषण पखवाड़ा अभियान के तहत होम साइंस कॉलेज सेक्टर-10 ने वेबिनार का आयाेजन किया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर प्रशासक के सलाहकार की पत्नी लिपि परीदा मौजूद रहीं।
डॉ. सुधा कत्याल ने लिपि परीदा का स्वागत करते हुए बताया कि वर्तमान में देश की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। जिसके चलते धीरे-धीरे भूखमरी भी बढ़ रही है जो कि देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल पैदा होने वाले बच्चों में 30 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं जिसका एक सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है। गर्भावस्था के दौरान महिलाएं पौष्टिक आहार नहीं ले पाती जिसका असर बच्चे पर पड़ता है। ज्यादातर बच्चे कुपोषित पैदा होते हैं वहीं कई बच्चे दिव्यांग तक हो जाते हैं।
डॉ. सुधा कत्याल ने बताया कि बच्चे के विकास के लिए सबसे अहम शुरू के एक हजार दिन होते है। जिसमें बच्चे के साथ मां को भी बेहतर और पौष्टिक खाना मिलना जरूरी होता है। यदि मां गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक खाना खाती हैं तो बच्चा बिल्कुल स्वस्थ पैदा होता है। बच्चे के पैदा होने के बाद छह महीने तक मां का दूध ही बच्चे का आहार होता है जो कि मां के खान-पान पर निर्भर करता है। यदि मां बेहतर खाना खा रही है, जूस और फलों का सेवन कर रही है तो दूध भी पौष्टिक होगा और बच्चे का विकास बेहतर होगा।
देश के विकास के लिए बेहतर स्वास्थ्य जरूरी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद लिपि परीदा ने कहा कि देश के विकास के लिए सबसे अहम और मजबूत कड़ी स्वास्थ्य है। यदि समाज स्वस्थ होगा तो निश्चित तौर पर वह खुद के लिए रोजगार खोजने के साथ-साथ अपने परिवार का भी बेहतर तरीके से पालन पोषण कर सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति के साथ महिलाओं में जानकारी का भी अभाव होता है जिसके चलते वह बच्चों को बेहतर पालन पोषण नहीं दे पाती है।