चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की प्लानिंग ने बढ़ाई शिक्षकों की परेशानी, अतिरिक्त क्लास के साथ तैयार करना होगा परीक्षा परिणाम
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की ने सरकारी स्कूल शिक्षकों की परेशानी को बढ़ा दिया है। या यूं कहें कि शिक्षकों पर अतिरिक्त काम को बोझ बढ़ गया है। दरअसल शिक्षकों को अब बच्चों की अतिरिक्त क्लास लगानी होगी और साथ ही समय पर परीक्षा परिणाम भी बनाने होंगे।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग की नई प्लानिंग ने शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल, दसवीं और बारहवीं बोर्ड कक्षाओं के परिणाम बेहतर हो, इसके लिए चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने बच्चों की स्पेशल क्लासें लगाने की प्लानिंग की है। योजना के अनुसार मिड टर्म एग्जाम के परिणाम के अनुसार टीचर्स को स्टूडेंट्स की स्पेशल क्लासें लगानी होंगी। इसके लिए टीचर्स को खुद स्टूडेंट्स बुलाने होंगे और उनकी कमियों को दूर करने का प्रयास करना होगा।
यह क्लासें चार मई से शुरू होने वाले सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन सीबीएसई के एग्जाम से पहले होंगी और इनकी शुरुआत मार्च में होगी, ताकि स्टूडेंट्स को एग्जाम से पहले बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके। शिक्षा विभाग इसकी प्लानिंग शहर के कुछ स्कूल प्रिंसिपल के साथ मिलकर तैयार कर चुका है।
दूसरी कक्षाओं के एग्जाम लेने के साथ तैयार करने होंगे परिणाम
दसवीं और बारहवीं कक्षा की स्पेशल क्लासें लगाने वाले टीचर्स को दूसरी कक्षाओं के एग्जाम लेने और उनके परिणाम को तैयार करके 31 मार्च तक घोषित करना होगा। दसवीं कक्षा की स्पेशल क्लासें लगाने वाले टीचर्स छठी से नौवीं कक्षा को भी पढ़ाते हैं। इसी प्रकार से बारहवीं कक्षा के टीचर्स के पास ग्यारहवीं कक्षा होती है। सभी स्टूडेंट्स के एग्जाम लेने से लेकर उनकी चेकिंग और समय पर परिणाम बनाना टीचर्स की जिम्मेदारी होगी। अप्रैल 2021 में जैसे ही नया सत्र शुरू होगा तो टीचर्स को नए सत्र में दसवीं और बारहवीं कक्षा में हुए स्टूडेंट्स की आनलाइन और आफलाइन क्लासें लेनी होंगी। वहीं करीब 15 से 20 टीचर्स की ड्यूटी हेल्पलाइन पर भी लगेगी, ताकि स्टूडेंट्स काल करके टीचर्स से समस्या का समाधान पा सके।
विभाग के पास एक हजार से ज्यादा टीचर्स की कमी
स्पेशल क्लासें लेने से टीचर्स को सबसे बड़ी परेशानी काम की अधिकतता है। शिक्षा विभाग के पास इस समय एक हजार से ज्यादा टीचर्स की कमी है। ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा को पढ़ाने वाले टीचर्स की संख्या 220 ही रह गई है। जो जरूरत के अनुसार मात्र 40 प्रतिशत हैं।