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चंडीगढ़ शिक्षा विभाग पूरे नहीं कर पा रहा Right to Education के नियम, शिक्षकों की कमी बनी परेशानी

चंडीगढ़ शिक्षा विभाग शहर के स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के नियमों को पूरा नहीं कर पा रहा है। इस कारण स्टूडेंट्स को परेशान होना पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण शहर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी होना है।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 11:57 AM (IST)
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग पूरे नहीं कर पा रहा Right to Education के नियम, शिक्षकों की कमी बनी परेशानी
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग पूरे नहीं कर पा रहा राइट टू एजुकेशन के नियम।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट के अनुसार 14 साल की उम्र तक स्टूडेंट्स के लिए तीन किलोमीटर के दायरे के अंदर स्कूल होने चाहिए। लेकिन चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में टीचर्स की कमी और अन्य इंतजाम की कमी के चलते स्टूडेंट्स 10 अप्रैल से शुरू होने वाले नए सत्र से पहले परेशान हैं। शहर में कुल 115 सरकारी स्कूल हैं जिसमें से आठ प्राइमरी स्कूल शामिल हैं।

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प्राइमरी में पांचवी कक्षा के बाद स्टूडेंट्स दूसरे स्कूल में जाते हैं। हैरानी की बात है कि स्टूडेंट्स का तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूल में एडमिशन नहीं होता, क्योंकि न तो वहां पर कमरे हैं और न ही टीचर्स। ऐसे में शहर के बच्चे छठी क्लास में एडमिशन पाने के लिए पांच से सात किलोमीटर दूर के स्कूलों में दाखिला लेना पड़ता है। 

शहर के दो स्कूल गवर्नमेंट मॉडल प्राइमरी स्कूल सेक्टर-49 और 12 के स्टूडेंट्स को सुविधा देने के लिए दो नई इमारतें बनाई गई हैं। गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल सेक्टर-49 के स्कूल को मिडिल या हाई बनाने के लिए इमारत बनी थी और गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल सेक्टर-12 को सीनियर सेकेंडरी बनाने के लिए इमारत बनी थी लेकिन इमारतों को बने हुए दो साल से भी ज्यादा का समय पूरा हो चुका है और विभाग की लापरवाही से तीसरे सत्र में भी स्टूडेंट्स के लिए यह भवन शुरू नहीं किए गए हैं।

स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए बनी दोनों इमारतों में कमरों के साथ नई टेबल कुर्सी है, लेकिन टीचर्स की कमी है। जिसके चलते विभाग चाह कर भी स्कूलों को अपग्रेड करने की पहल नहीं कर रहा। यदि स्कूलों को अपग्रेड किया जाता है तो टीचर्स की संख्या को बढ़ाना होगा जो कि टीचर्स के पास इस समय संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग के पास वर्तमान स्थिति में ही 12 सौ टीचर्स की कमी है।

गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल वर्ष 2019 तक नगर निगम के अधीन चल रहे थे लेकिन टीचर्स की कमी में नगर निगम ने स्कूलों को छोड़कर शिक्षा विभाग को सौंप दिया था। जिस समय तक नगर निगम के पास स्कूल थे उस समय में भी स्कूलों के रख-रखाव से लेकर टीचर्स की सुविधाओं की पूर्ति शिक्षा विभाग ही करता था। नगर निगम का काम सिर्फ स्कूलों में इंस्पेक्शन करना था और कमियों को शिक्षा विभाग के सामने उजागर करना था।

प्रशासन से लगाई है गुहारः हीरा नेगी

नगर निगम में शिक्षा कमेटी की चेयरपर्सन रही नगर निगम पार्षद हीरा नेगी ने कहा कि जब मैं स्कूलों को देख रही थी उस समय भी और उसके बाद भी स्कूलों को अपग्रेड करने की डिमांड की थी जो कि अभी तक पूरी नहीं हुई है। मैं सेक्टर-49 की पार्षद हूं और यहां के बच्चे छठी क्लास के एडमिशन के लिए हर साल परेशान होते हैं।

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