100 करोड़ से धूलेगा चंडीगढ़ का दाग; डंपिंग ग्राउंड का पूरा कचरा हटाने में लग जाएंगे इतने साल
शहर का सबसे बड़ा दाग डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड है। यह चंडीगढ़ की सबसे बड़ी समस्या है। शहरवासियों को डंपिंग ग्राउंड में लगे कूड़े के पहाड़ से मुक्ति दिलवाने के लिए नगर निगम को 100 करोड़ रुपये की जरूरत है।
राजेश ढल्ल चंडीगढ़। शहर का सबसे बड़ा दाग डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड है। यह चंडीगढ़ की सबसे बड़ी समस्या है। शहरवासियों को डंपिंग ग्राउंड में लगे कूड़े के पहाड़ से मुक्ति दिलवाने के लिए नगर निगम को 100 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसमें 33 करोड़ रुपये की लागत से पहले से बने कचरे के पहाड़ को हटाने (प्रोसेस) करने का काम चल रहा है। नगर निगम के अनुसार यहां पर पांच लाख मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस करने का काम दो साल पहले शुरू हुआ था। इसमें से 60 फीसद कचरा प्रोसेस हो चुका है।
वहीं, बाकी बचे 40 फीसद कचरे को खत्म करने के लिए कंपनी को 30 मार्च 2023 तक की नई गाइडलाइंस दी गई है। जबकि जो नया कचरे का पहाड़ है उसे खत्म करने के लिए नगर निगम को 77 करोड़ रुपये की राशि चाहिए। इसके लिए चंडीगढ़ नगर निगम ने केंद्र सरकार से स्वच्छ भारत मिशन के तहत फंड मांगा है। यह कचरे का पहाड़ 7.67 लाख मीट्रिक टन का है। इस कचरे को खत्म करने के लिए हाल ही में हुए पहली सदन की बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका है। जबकि गारबेज प्लांट के रिपेयर के काम के लिए भी छह करोड़ रुपये की राशि पास की गई है।
इस समय प्लांट की मशीनरी पूरी तरह से कंडम हो चुकी है। इस कारण प्रतिदिन शहर में निकलने वाला 500 टन कचरा डंपिंग ग्राउंड में ही गिर रहा है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार की ओर से राशि मिल जाती है तब भी शहरवासियों को डंपिंग ग्राउंड से मुक्ति दिलवाने में कम से कम पांच साल का समय लग जाएगा। आगे से डंपिंग ग्राउंड में कोई नया कचरा न गिरे इसके लिए नया वेस्ट टू एनर्जी गारबेज प्लांट भी लगना अनिवार्य है। निगम को अगल से करोड़ों रुपये चाहिए। 19 जून 2020 को नगर निगम ने गारबेज प्लांट जेपी कंपनी से वापस लेकर कब्जा लिया था, लेकिन नगर निगम भी मशीनरी कंडम होने के कारण इस प्लांट को नहीं चला पाया है।
स्वच्छता के मामले में पिछड़ापन दूर करने के लिए उठाने होंगे यह प्रभावी कदम
- स्वच्छता सर्वेक्षण में चंडीगढ़ के पिछड़ने का बड़ा कारण डंपिंग ग्राउंड ही है। इसको दूर किए बिना चंडीगढ़ स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप-10 में नहीं आ सकता।
- कुल 45 एकड़ का डंपिंग ग्राउंड है, जिनमें से 7.67 लाख मिट्रिक टन कचरे का नया पहाड़ बना हुआ है। इसके लिए नगर निगम को 77 करोड़ चाहिए। यह नया पहाड़ 10 मीटर ऊंचा है।
- नगर निगम का दावा है कि यह कचरा साल 2005 के बाद का है। इसके लिए गारबेज प्लांट चलाने वाली जेपी कंपनी जिम्मेदार है, जिन्होंने प्लांट में पूरा कचरा प्रोसेस किए बिना यहां पर ही कचरा गिराया।
- इस समय जो 33 करोड़ रुपये की लागत से कचरे को प्रोसेस करने का काम चल रहा है। असल में यह काम पिछले साल दिसंबर में ही पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन नगर निगम के अनुसार कोरोना के कारण काम में देरी हुई है।
- प्रतिदिन शहर में 500 टन कचरा निकल रहा है। शहर में सूखा और गीला कचरे के सेग्रीगेशन के लिए नगर निगम की ओर से शहर में 399 गाड़ियां चलाई गई हैं। अब शहरवासियों को दो की बजाए चार तरह का अलग अलग कचरा सेग्रीगेट करना होगा।
- 25 हजार मीट्रिक टन कचरा गारबेज प्लांट में भी जमा है, जिसे निगम को खाली करवाकर डंपिंग ग्राउंड पर ही भेजना है।
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"डंपिंग ग्राउंड में पहले से पांच लाख मिट्रिक टन कचरे के निस्तारण का काम चल रहा है। इसमें से 60 फीसद काम हो चुका है। यह काम 30 मार्च 2023 तक पूरा हो जाएगा। जो 7.67 लाख टन कचरे का नया पहाड़ है, उसके निस्तारण के लिए केंद्र सरकार से 77 करोड़ रुपये का फंड मांगा गया है। इसका प्रस्ताव भी पास हो चुका है।
- आनिंदिता मित्र, एमसी कमिश्नर, चंडीगढ़।