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डीएसपी साहब को महंगा पड़ गया जर्दा खाने का शौक... पढ़ें चंडीगढ़ की और भी रोचक खबरें

एक व्यक्ति टायलेट का प्रयाेग करके बाहर आया और उसने 5 रुपये डीएसपी को थमा दिए।डीएसपी साहब उस समय वर्दी में नहीं थे। पांच रुपये देने पर डीएसपी भड़क गए। वाकया पूरे चंडीगढ़ पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 01:48 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 01:48 PM (IST)
डीएसपी साहब को महंगा पड़ गया जर्दा खाने का शौक... पढ़ें चंडीगढ़ की और भी रोचक खबरें
चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के सलाहकार धर्मपाल के साथ मेयर सरबजीत कौर।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ पुलिस के एक डीएसपी हैं, जिन्हें जर्दा खाने का शौक है। हालांकि उन्हें खुद का नहीं, दूसरे का तैयार किया हुआ जर्दा ज्यादा पसंद है। ऐसे में जर्दा खाने और बनाकर खिलाने वालों से उनका खासा प्रेम भी है। वह आमतौर पर शहर के एक पब्लिक टायलेट का रखरखाव करने वाले कर्मचारी को भी मिलने के लिए जाते हैं और फिर वह साहब के लिए अपने हाथ से मसल कर जर्दा तैयार करके देता है। एक दिन डीएसपी साहब जर्दा खाने के बाद पब्लिक टायलेट के बाहर ही कुर्सी पर बैठ गए। पहले उस पर रखरखाव करने वाला कर्मचारी बैठता था। एक व्यक्ति टायलेट का प्रयाेग करके बाहर आया और उसने 5 रुपये डीएसपी को थमा दिए।डीएसपी साहब उस समय वर्दी में नहीं थे। पांच रुपये देने पर डीएसपी भड़क गए। इस पर उस व्यक्ति ने भी कहा कि क्यों गुस्सा कर रहे हो क्या अब पांच रुपये से ज्यादा शुल्क वसूलोगे। बीच बचाव में आसपास खड़े लोग आए।उन लोगों ने उस व्यक्ति को बताया कि यह डीएसपी हैं। उसके बाद मामला शांत हुआ लेकिन अब पूरे पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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कुछ नया मांग लो

जब भी कोई नगर निगम का नया मेयर मांगता है तो उसकी सबसे पहली नजर आरएएए विभाग पर जाती है। वह सलाहकार और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक करके यह विभाग नगर निगम को ट्रांसफर करने की मांग करते हैं। मेयर सरबजीत कौर ने भी ऐसा ही किया। वह भी सलाहकार धर्मपाल से मिलने पहुंची और आरएलए विभाग को होने वाली कमाई मांग ली। पिछले साल भी तत्कालीन मेयर रविकांत शर्मा ने ऐसा किया था। उस समय तो यह बात भी सामने आई थी कि प्रशासन ऐसा करने के लिए तैयार हो गया है लेकिन साल खत्म हो गया और ऐसा नहीं हुआ।हर बार मेयर वही मुद्दे प्रशासन के अधिकारियों के सामने उठाता है, जो पिछले सालों में मेयर उठाते रहे हैं। ऐसे में गपशप करते हुए लोग कह रहे है कि कुछ नया भी प्रशासन से मांग लिया जाए। नवनियुक्त मेयर सरबजीत कौर ने नगर निगम में पहले दिन आते ही सभी का जीत लिया। सरबजीत कौर ने नगर निगम की चौखट को झुककर प्रणाम किया उस समय उनके पति जगतार जग्गा साथ थे।

छाबड़ा के जाने का पड़ गया फर्क

मेयर चुनाव के दौरान कई नेताओं ने अपने गिले-शिकवे भी दूर किए। चुनाव परिणाम के बाद जब सांसद किरण खेर वापस जाने लगी तो लिफ्ट के बाहर उनकी मुलाकात आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा के साथ हुई। सांसद ने छाबड़ा को कहा कि वह उनके पास नहीं आए। असल में वह उन्हें भाजपा में शामिल होने की बात कर रही थी। इस पर छाबड़ा ने कहा कि उन्होंने (सांसद) इस बारे में कभी नहीं कहा। इस पर सांसद ने कहा क्यों उस समय आपको पूर्व मेयर आशा जसवाल ने फोन नहीं किया था। जब पिछले साल छाबड़ा ने कांग्रेस छोड़ी थी तो उस समय कई नेताओं ने प्रयास किया कि वह भाजपा में शामिल हो जाएं लेकिन बात नहीं बनी। फिर, वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। उस समय कांग्रेस के नेता कहते थे कि छाबड़ा के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अब बुरी तरह से हारने के बाद कई नेता बोल रहे हैं कि आप को कांग्रेस ने मजबूत किया है। इस समय आप के कई नेता छाबड़ा के खिलाफ अंदरूनी मोर्चा खोल रहे हैं। वह गपशप कहते हुए कह रहे है कि छाबड़ा के कई करीबी चुनाव नहीं जीत पाए।

दिल है कि मानता नहीं

मनोनीत पार्षद बनने के लिए इस समय कई नेता, वीआइपी, रिटायर्ड इंजीनियर, डाक्टर और प्रतिष्ठित लोग लाबिंग कर रहे हैं। भाजपा के चुनाव हार चुके नेता भी इसके लिए प्रयास कर रहे हैं जबकि हार चुके उम्मीदवारों की जब प्रभारी विनोद तावड़े के साथ बैठक हुई थी तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी हारा हुआ उम्मीदवार मनोनीत पार्षद बनाने की मांग न करे। हालांकि उम्मीदवार का दिल है कि मानता नहीं। वह भी मनोनीत पार्षद बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं। चर्चा है कि भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद भी मनोनीत पार्षद की दौड़ में हैं। ऐसे में उनकी पार्टी के नेताओं ने खुसरपुसर शुरू हो गई है। एक फाइव स्टार होटल में हुए लंच कार्यक्रम में भी इस पर चर्चा हुई। नेताओं ने दबी जुबान में कहा कि अगर ऐसा होता है तो वह इस्तीफा तक दे देंगे। लंच के बाद चंद नेताओं ने चर्चा करते हुए अध्यक्ष के खिलाफ भी अपनी भड़ास भी निकाली। वहीं, चुनाव के दौरान जो भी नेता भाजपा में आ रहा था, वह मनोनीत पार्षद बनाए जाने की मांग कर रहा था। उस समय पार्टी के सीनियर नेता हर किसी को आश्वासन दिया गया कि वह इसके लिए पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन अब इन सीनियर नेताओं ने आंखें चुराना शुरू कर दिया है।


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