मोहाली पर्ल्स सिटी में नए फ्लैट के लिए चंडीगढ़ के दंपती ने दिए 36 लाख, बिल्डर लौटाने होंगे, 35 हजार जुर्माना
पर्ल्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लिमिटेड के खिलाफ चंडीगढ़ सेक्टर-19 के रहने वाले दंपती निशा और पालस राम शर्मा ने साल 2020 में शिकायत दर्ज करवाई थी। आरोप है कि उन्होंने साल 2011 में उक्त बिल्डर के मोहाली सेक्टर-100 में प्राेजेक्ट पर्ल्स सिटी में 500 स्क्वेयर यार्ड का प्लाट बुक किया था।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़। मोहाली सेक्टर-70 स्थित पर्ल्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लिमिटेड को एग्रीमेंट लेटर और पोजेशन न देने की शिकायत पर चंडीगढ़ जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान आयोग ने पर्ल्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लिमिटेड के नई दिल्ली स्थित आफिस के डायरेक्टर कंवलजीत सिंह और मोहाली सेक्टर-70 स्थित आफिस के डायरेक्टर गुरप्रीत सिंह भांगू को नौ फीसद प्रति वर्ष ब्याज के साथ (जब से प्लाट का सौदा हुआ था) 36 लाख रुपये की राशि वापस करने का आदेश दिया। इसके साथ ही आयोग ने दोनों पर 25 हजार रुपये हर्जाना (12,500 रुपये हर व्यक्ति पर) और केस खर्च के तौर 10 हजार रुपये जमा करने को भी कहा।
पर्ल्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट लिमिटेड के खिलाफ चंडीगढ़ सेक्टर-19 के रहने वाले दंपती निशा और पालस राम शर्मा ने साल 2020 में शिकायत दर्ज करवाई थी। दंपती का आरोप है कि उन्होंने साल 2011 में उक्त बिल्डर के मोहाली सेक्टर-100 में प्राेजेक्ट पर्ल्स सिटी में 500 स्क्वेयर यार्ड का प्लाट बुक किया था। इसके लिए बिल्डर से 1.20 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। उन्हाेंने 12 मार्च 2011 को बिल्डर को 12 लाख रुपये की पैमेंट कर दी थी।
बुकिंग अमाउंट के साथ दिए 36 लाख रुपये
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि बिल्डर ने पांच महीने में ही और राशि की डिमांड की। इसके बाद उन्हाेंने 14 जुलाई 2011 को बुकिंग अमाउंट के साथ 36 लाख रुपये की पैमेंट कर दी। पैमेंट के बाद साल 2013 तक शिकायतकर्ताओं ने बिल्डर के जवाब की प्रतिक्षा की। इस दौरान कई बार मोहाली स्थित उनके कार्यालय भी गए लेकिन बिल्डर उनसे नहीं मिला।
पोजेशन और एग्रीमेंट लेटर लेने के लिए भटकते रहे शिकायतकर्ता
साल 2020 तक बिल्डर की ओर से उन्हें न तो प्लाट का कब्जा दिया गया और न ही एग्रीमेंट लेटर। पाेजेशन और एग्रीमेंट लेटर को लेकर भी बिल्डर ने स्थिति साफ नहीं की। बार बार बिल्डर्स की ईमेल पर मेल भेजने और कॉल करने के बाद भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
पांच अगस्त 2020 को भेजा था नोटिस
शिकायतकर्ताओ ने बिल्डर से तंग आकर पांच अगस्त 2020 को एक नोटिस बिल्डर के दोनों पतों पर भेजा। नोटिस में शिकायतकर्ताओं ने 36 लाख रुपये बिल्डर को दिए थे उन्हें वापस देने की मांग की, लेकिन बिलडर की ओर से नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया। आयोग ने सुनवाई करते हुए शिकायतकर्ताओं द्वारा दिए गए सभी दस्तावेजों की जांच के बाद बिल्डर के खिलाफ सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं।