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Chandigarh AQI: उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में चंडीगढ़ और पंचकूला की हवा सबसे साफ, जानें दूसरे शहरों का हाल

चंडीगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Chandigarh AQI) सुबह 10 बजे 123 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। गुरपर्ब के बाद शहर का एक्यूआइ 166 पहुंच गया था। जोकि एक दिन बाद आज कम होकर 123 हो गया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 11:56 AM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 11:56 AM (IST)
Chandigarh AQI: उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में चंडीगढ़ और पंचकूला की हवा सबसे साफ, जानें दूसरे शहरों का हाल
चंडीगढ़ के मुकाबले पंचकूला में स्वच्छ हवा है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। उत्तर भारत में दिल्ली (Delhi Air Qaulity) सहित कई राज्यों में प्रदूषण (Pollution) की मार झेल रहे हैं। दिल्ली में हालात इतने खराब हैं कि स्कूल तक बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 से पार पहुंच गया है।

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चंडीगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Chandigarh AQI) सुबह 10 बजे 123 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। गुरपर्ब के बाद शहर का एक्यूआइ 166 पहुंच गया था। जोकि एक दिन बाद आज कम होकर 123 हो गया है। शहर के प्रदूषण स्तर में सुधार हुआ है। चंडीगढ़ के मुकाबले पंचकूला में स्वच्छ हवा है। पंचकूला का एक्यूआइ 84 दर्ज किया गया। उत्तर भारत में मैदानी इलाकों की अगर बात करें तो चंडीगढ़ और पंचकूला ही मात्र ऐसी जगह हैं, जहां अब तक सबसे कम प्रदूषण स्तर है। जहां लोग खुलकर सांस ले सकते हैं। उत्तर भारत के कई राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में प्रदूषण स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत हो रही है।

चंडीगढ़ के पड़ोसी इलाकों में सुबह 10 बजे ये रहा प्रदूषण स्तर

चंडीगढ़ के पड़ोसी इलाकों में जैसे अंबाला में एक्यूआइ 248, दिल्ली में 382, फरीदाबाद 361, फतेहाबाद में 270, गुरुग्राम में 374,  हिसार में 381,  जींद में 342, कैथल में 251,  करनाल में 201, खन्ना में 166,  कुरुक्षेत्र में 277,  नारनौल में 299,  पानीपत में 271, पटियाला में 211,  रोहतक में 326,  सोनीपत में एयर क्वालिटी इंडेक्स 276 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया।

कम हुए पराली जलाने के मामले

पीजीआइ के पर्यावरण विशेषज्ञ एडिशनल प्रोफेसर रविंदर खाईवाल ने बताया कि उत्तर भारत में पराली जलाने के मामले अब कम हो गए हैं। पराली जलाने के इस सीजन छह हजार के करीब एक दिन में नए मामले सामने आए। यह मामले कम होकर अब 1500 से दो हजार के बीच रह गए हैं। प्रोफेसर रविंदर खाईवाल ने बताया कि दिसंबर के शुरुआत और मध्य तक पराली जलाने के मामले पूरी तरह थम जाएंगे।


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