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बायोमेडिकल वेस्ट चोरी हुआ या सही डस्पोज नहीं किया तो कड़ी कार्रवाई, चंडीगढ़ में अब बार कोड का होगा इस्तेमाल

सरकारी अस्पताल नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर का एक कर्मी अपने सामने वेस्ट की थैलियों का वजन कराएगा। उन थैलियों पर बार कोड और खास तरह की सील लगाई जाएगी। इसके बाद खास तरह के सेंसर से बार कोड को स्कैन किया जाएगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 02:07 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 02:07 PM (IST)
बार कोड नहीं होने से रास्ते में ही वेस्ट को अवैध रूप से बेच दिया जाता है। पुरानी फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ को मेडिकल हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है। पंचकूला और मोहाली में भी हेल्थ सेक्टर में खूब काम हो रहा है। कई बड़ी हास्पिटल चेन ट्राइसिटी में अस्पताल शुरू कर चुकी हैं। हालांकि हेल्थ केयर फैसिलिटी से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इसका सही से डिस्पोजल बड़ी चुनौती बन रहा है। इसको देखते हुए अब प्रशासन बायोमेडिकल वेस्ट के एक-एक थैले पर नजर रखेगा। इसकी टेक्नोलॉजी के माध्यम से मॉनीटरिंग होगी। अस्पताल से निकलने के बाद बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचने में वेस्ट घटा तो तुरंत कार्रवाई होगी। बायोमेडिकल वेस्ट के हर थैले पर बार कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी हेल्थ केयर फेसिलिटी (एचसीएफ) को बार कोड सिस्टम अपनाना होगा। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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नोडल अधिकारी करेगा चेकिंग

इसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। नोडल अधिकारी ने ऐसे एचसीएफ की शिकायत चंडीगढ़ पाल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) से की है। साथ ही इन सभी एचसीएफ को भी रिमाइंडर भेज दिया गया है। प्रशासन ने सिटी का एनवायरमेंट प्लान तैयार किया है। उसमें बायोमेडिकल वेस्ट से निपटने के लिए एक्शन प्लान में बार कोड सिस्टम को शामिल किया गया है। बार कोड सभी थैलों पर लगाया जा रहा है या नहीं यह सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी की होगी।

शहर से रोज निकलता है चार हजार किलो वेस्ट

शहर में 890 हेल्थ केयर फेसिलिटी (एचसीएफ) हैं। इनमें 49 बेड वाले एचसीएफ हैं और 841 बिना बेड वाले आपरेशनल एचसीएफ चंडीगढ़ में हैं। इन सभी से रोजाना 3500 से चार हजार किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट जेनरेट होता है। सभी ने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 के तहत चंडीगढ़ पाल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सीपीसीसी) के पास रजिस्टर्ड करा रखा है।

यहां से जेनरेट होता है वेस्ट

बायोमेडिकल वेस्ट वह होता है जो मानव या किसी पशु के डायग्नोसिस, ट्रीटमेंट या इम्यूनाइजेशन और रिसर्च वर्क बायोलॉजिकल टेस्टिंग या हेल्थ कैंप से जेनरेट होता है। यह अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, वेटरनरी, एनिमल हाउस, पैथोलॉजिकल लैबोरेटरी, ब्लड बैंक, आयुष हॉस्पिटल, स्कूल के फर्स्ट एड रूम से जेनरेट होता है।

ऐसे काम करेगा बार कोड

सरकारी अस्पताल, नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर का एक कर्मी अपने सामने वेस्ट की थैलियों का वजन कराएगा। उन थैलियों पर बार कोड और खास तरह की सील लगाई जाएगी। इसके बाद खास तरह के सेंसर से बार कोड को स्कैन किया जाएगा। नर्सिंग होम का कर्मी थैलियों की ऑनलाइन रिपोर्ट बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट में भेज देगा। वहां गाड़ी पहुंचने पर फिर से वजन किया जाएगा। वजन में अंतर आने पर स्टाफ पर कार्रवाई की जा सकेगी। जिस वाहन से यह वेस्ट जाएगा उस पर भी जीपीएस ट्रैकिंग सुविधा होगी। उस रूट भी ट्रैक किया जा सकेगा। होता यह है कि बार कोड नहीं होने से रास्ते में ही वेस्ट को इधर-उधर कर बेच दिया जाता है। ग्लूकोज की बोतल और दूसरा प्लास्टिक से बना सामान बेचा जाता है।

बायोमेडिकल वेस्ट को डिस्पोज नहीं करने का सेहत पर असर

एड्स, हेपेटाइटिस बी एंड सी

गैस्ट्रो एंट्रिक इंफेक्शन

ब्लड स्ट्रीम इंफेक्शन

स्किन इंफेक्शन

एन्वायरमेंटल इफेक्ट

ग्राउंड और सरफेस वाटर पर प्रभाव

एंबियंट एयर क्वालिटी पर प्रभाव

सोलिड वेस्ट पर प्रभाव

मिट्टी पर प्रभाव


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