चंडीगढ़ में लगातार सामने आ रहे पेपर लीक के मामले
प्रख्यात सिटी ब्यूटीफुल भर्ती परीक्षा लीक केंद्र के तौर पर भी जाना जाने लगा है।
कुलदीप शुक्ला, चंडीगढ़ : उच्च शिक्षा के हब के तौर पर प्रख्यात सिटी ब्यूटीफुल भर्ती परीक्षा लीक केंद्र के तौर पर भी जाना जाने लगा है। हाल के कुछ वर्षो में कई सरकारी भर्तियों के पेपर लीक के एक के बाद एक मामले चंडीगढ़ में पकड़े गए हैं। इनमें पीजीआइ एमएस/एमडी एंट्रेंस, जेबीटी-टीजीटी लेकर हरियाणा सिविल सर्विस (ज्यूडीशियल) तक परीक्षा लीक के मामले शामिल रहे हैं। इनके बाद अब एचएसएससी आइटीआइ इंस्ट्रक्टर का पेपर लीक का मामला सामने आया है। हालांकि एचएसएससी का दावा है कि पेपर लीक नहीं हुआ है और पहले की तरह तय तारीख पर ही होगा। पुलिस ने पेपर लीक होने से पहले ही गिरोह का खुलासा कर लिया। पेपर लीक मामलों में पुलिस अब तक कई आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है और अभी इनके मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। केस-12012 : पीजीआइ एमडी/एमएस एंट्रेंस एग्जाम
2012 में पीजीआइ एमडी/एमएस एंट्रेंस पेपर में हाईटेक नकल के जरिये पेपर लीक का खुलासा हुआ था। सीबीआइ ने इसमें 32 लोगों को पकड़ा था। आरोपित सेक्टर-35 स्थित अलग-अलग होटलों के रूम में कंट्रोल सिस्टम बनाकर परीक्षा में बैठे कैंडिडेट्स को पेपर करवा रहे थे। पेपर लीक का तरीका
गिरोह ने पेपर के लिए डमी कैंडिडेट्स तैयार किए हुए थे। नकल करवाने के लिए डमी कैंडिडेट्स के लिए उनके कपड़ों, सिर के क्लिप, ईयरफोन, हाईटेक पेन का प्रयोग किया गया था। यहां पेपर आने के बाद पेपर को पटना और हैदराबाद में बैठे इनके विशेषज्ञों के पास भेजा गया जो इनके जवाब भेज रहे थे। केस-22017 : एचसीएस (जे) प्रारंभिक परीक्षा
सितंबर 2017 में हरियाणा सिविल सर्विस (ज्यूडिशियल) की प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक का खुलासा तब हुआ जब एक कैंडिडेट पिजौर निवासी सुमन ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ पुलिस को एसआइटी बनाकर जांच करने के आदेश दिए थे। एसआइटी ने जांच के बाद मुख्य आरोपित परीक्षा की टॉपर सुशीला को गिरफ्तार किया। उसके बयान के आधार पर तत्कालीन रजिस्ट्रार और एडीजे डॉ. बलविदर शर्मा और उसके बाद कई अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। ऐसे हुआ खुलासा
याचिकाकर्ता के अनुसार उसके कोचिग इंस्टीट्यूट में साथ पढ़ने वाली सुशीला ने गलती से उसे एक ऑडियो रिकार्डिग भेजी। इसमें उससे डेढ़ करोड़ रुपये में नियुक्ति की बात करने का खुलासा हुआ था। केस-32015 : जेबीटी-टीजीटी परीक्षा
यूटी शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में 1150 जेबीटी और टीजीटी की भर्ती निकाली थी। पंजाब पुलिस की विजिलेंस जांच में सामने आया था कि भर्ती के लिए लिखित परीक्षा से तीन दिन पहले ही पेपर परीक्षार्थियों के पास पहुंच गया था। ऐसे हुआ खुलासा
पंजाब विजिलेंस ने पेपर लीक के एक मामले में एक आरोपित दिनेश यादव को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ में उसने चंडीगढ़ की जेबीटी-टीजीटी भर्ती घोटाले में धांधली कबूल की थी। इसके बाद पंजाब विजिलेंस ने एक रिपोर्ट बनाकर यूटी प्रशासन और पुलिस को भेजी थी। यूटी पुलिस ने एसआइटी गठित कर तत्कालीन एसपी रवि कुमार और डीएसपी कृष्ण कुमार को इसकी जांच सौंपी थी। पंजाब पुलिस ने तेलंगाना पुलिस के साथ मिलकर कई पेपर लीक करवा चुके मास्टरमाइंड संजय श्रीवास्तव उर्फ मिथिलेश पांडे उर्फ गुरुजी और शिव बहादुर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद कई अन्य गिरफ्तारियां हुई थी। केस-42019 : इंस्ट्रक्टर परीक्षा लीक मामला
पांच दिसंबर 2019 को यूटी पुलिस ने हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के आइटीआइ इंस्ट्रक्टर परीक्षा का पेपर लीक करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 स्थित कांग्रेस पार्षद देवेंद्र बबला के प्लॉट में चल रहे मैपल टेक कंम्प्यूटर लैब से मैनेजर 24 वर्षीय नीतिश को गिरफ्तार करने का दावा किया था। यहां से 11 कैंडिडेट्स को राउंडअप किया गया था। उन्होंने बताया कि पेपर देने के लिए आरोपितों से किश्तों में 10 से 15 लाख का सौदा किया था।