Youtube पर अभद्र टिप्पणी मामला, कोर्ट कर्मी के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करने के आदेशों में संशोधन
Youtube पर अदालत के खिलाफ टिप्पणियां करने वाले जगराओं अदालत के कर्मचारी को अब निजी तौर पर अदालत में पेश होने के आदेश दिए गए हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। यूट्यूब (Youtube) पर अदालत और न्यायाधीशों के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां करने वाले एक कोर्ट कर्मचारी के खिलाफ बुधवार को अदालती अवमानना के आरोप तय करने के आदेशों को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने वीरवार को संशोधित कर दिया।
Youtube पर अदालत के खिलाफ टिप्पणियां करने वाले जगराओं अदालत के कर्मचारी हरमीत सिंह पर बुधवार को हाई कोर्ट ने अदालती अवमानना के आरोप तय कर दिए थे। हाईकोर्ट ने हरमीत सिंह पर ''दि अगली फेस ऑफ इंडियन ज्यूडिशियरी, लुधियाना' नाम से Youtube पर अकाउंट बनाने और उसमें न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उनके खिलाफ टिप्पणियां करने का आरोप तय किए थे। अदालत ने हरमीत सिंह पर जिला अदालत में भ्रष्टाचार, घूसखोरी और भाई-भतीजावाद के मनगढ़ंत आरोप लगाने के आरोप भी तय किए थे।
हरमीत पर तय अन्य आरोप में कहा गया था कि पूरे न्यायिक प्रक्रिया तंत्र पर सवाल उठाना और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के बदनाम करने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में शामिल नहीं है। सार्वजनिक तौर पर न्यायाधीशों और अदालतों के खिलाफ अवांछित और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां करके उसने न्यायाधीशों की निष्ठा पर हमला करते हुए उन्हें डराने का प्रयास किया है।
इन आदेशों को संशोधित करते हुए हाई कोर्ट ने वीरवार को कहा कि कोविड-19 के दौर के चलते हरमीत सिंह के खिलाफ सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई थी, जिसके चलते आरोप तय करने से पहले अदालत में उसकी निजी उपस्थिति को सुनिश्चित नहीं बनाया जा सका। भूलवश बुधवार के आदेशों में यह लिख दिया गया कि आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए जाने से पहले उसे वह आरोप समझाए जा चुके हैं। ऐसे में आरोपित को इन आरोपों पर अपनी सहमति या असहमति जताने का अवसर देने के लिए बुधवार को दिए गए आदेशों को संशोधित करते हुए हाई कोर्ट ने आरोपी को 24 सितंबर को निजी तौर पर अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं।
जगराओं अदालत में कार्यरत रहे हरमीत सिंह द्वारा Youtube पर अदालत के खिलाफ टिप्पणियां अपलोड करने पर स्वत संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ अवमानना की सुनवाई शुरू की थी। हरमीत सिंह पहले लुधियाना अदालत में कार्यरत था। वहां से उसे जगरांव अदालत स्थानांतरित कर दिया गया था। आरोपित ने अपने स्थानांतरण के मुद्दे पर लुधियाना सेशन अदालत और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ भी टिप्पणियां की थीं।