अब एक्साइज ड्यूटी पर घिरी कैप्टन सरकार, मंत्रियों सहित विधायक व सांसद बोले- जांच कराओ
पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार अब एक्साइज ड्यूटी पर घिर गई है। मंत्रियों सांसदों और विधायकों ने पूरे मामले की जांच कराई है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही मंत्रियों व चीफ सेक्रेटरी के बीच हुए विवाद को खत्म करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। कैप्टन सरकार अब एक्साइज ड्यूटी पर घिर गई है। कांग्रेस के कुछ मंत्रियों, सांसद और विधायक ने इस संबंध में जांच की मांग की है। कांग्रेस के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग़ ने एक्साइज ड्यूटी कम आने की जांच की मांग की है। अहम बात यह है कि इस मांग का सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने समर्थन किया है। वहीं, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए जांच की मांग उठाई है।
कांग्रेस विधायक राजा वडि़ंग की मांग का मंत्री रंधावा ने किया समर्थन
राजा वडि़ंग ने कहा कि 600 करोड़ रुपये की एक्साइज ड्यूटी कम आने की जांच होनी चाहिए। जब तक जांच चले तब तक करण अवतार सिंह को चीफ सेक्रेटरी के पद पर नहीं होना चाहिए। वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, कैबिनेट मंत्री रंधावा के समर्थन से मामला बढ़ गया है। क्योंकि रंधावा अपने आक्रामक स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।
राज्यसभा सदस्य प्रताप बाजवा ने कहा- आरोप गंभीर, जांच जरूरी
उन्होंने कहा कि जांच के बाद जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। इससे मुख्यमंत्री के डैमेज कंट्रोल के प्रयास प्रभावित हो सकते हैं। वडिंग आरोप लगा रहे हैं कि चीफ सेक्रेटरी के बेटे शराब के कारोबार में लिप्त हैं। राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि कैप्टन को इस मामले की जांच करवाकर या तो दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए या चीफ सेक्रेटरी को क्लीन चिट देनी चाहिए। मामले को मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता।
विपक्ष ने भी खोला मोर्चा
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल चीफ सेक्रेटरी के पक्ष में उतर आए हैं और अपने भाई मनप्रीत बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे इस पूरे मामले को अवैध शराब की बिक्री से जोड़ रहे हैं। शिअद का दावा है कि यह 2000 करोड़ रुपये का घोटाला है और इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए। कांग्र्रेस के 2017 में सत्ता संभालने के बाद पहले वर्ष एक्साइज ड्यूटी में करीब 729 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। उसके बाद से एक्साइज ड्यूटी में लगातार गिरावट आ रही है।
कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं
कांग्र्रेस के लिए यह मामला गले की फांस बन गया है। पूरी कैबिनेट पहले ही करण अवतार सिंह को चीफ सेक्रेटरी को पद से हटाने की मांग कर चुकी है। कांग्र्रेस में इस बात को लेकर बेचैनी है कि पहले ही सरकार के कामकाज पर अफसरशाही हावी थी। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री कैबिनेट की मांग को स्वीकार नहीं करते हैं तो फील्ड स्तर पर पार्टी नेताओं को अफसरशाही बिल्कुल भी भाव नहीं देगी। अब एक्साइज ड्यूटी में कमी का मुद्दा सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है।
कब कितनी आई एक्साइज ड्यूटी
2014-15 : 4246 करोड़
2015-16 : 4796 करोड़
2016-17 : 4406 करोड़
2017-18 : 5135 करोड़
2018-19 : 5072 करोड़
2019-20 : बजट अनुसार 5676 (इसमें 600 करोड़ रुपये की कमी बताई जा रही है।)
यह है मामला
नई एक्साइज पॉलिसी बनाने के लिए मंत्री और चीफ सेक्रेटरी के बीच विवाद हो गया था। इस कारण वित्त मंत्री मनप्रीत बादल, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर रंधावा आदि मंत्री कैबिनेट सब कमेटी की बैठक से बाहर चले गए थे। कैबिनेट बैठक में सभी मंत्रियों ने चीफ सेक्रेटरी को हटाने की मांग रखी। मनप्रीत बादल ने कहा था कि जिस बैठक में चीफ सेक्रेटरी होंगे वह उस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। मुख्यमंत्री ने डैमेज कंट्रोल के लिए चीफ सेक्रेटरी से एक्साइज विभाग ले लिया।
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