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सिद्धू का विभाग बदलने से दूर हुई कैप्‍टन सरकार की बड़ी बाधा, अब उठाएगी यह कदम

नवजोत सिंह सिद्धू के स्‍थानीय निकाय विभाग से हटने के बाद कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार की बड़ी बाधा दूर हो गई है। अब सरकार नई भूजल अथॉरिटी का गठन कर सकेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 05:00 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jun 2019 05:00 PM (IST)
सिद्धू का विभाग बदलने से दूर हुई कैप्‍टन सरकार की बड़ी बाधा, अब उठाएगी यह कदम
सिद्धू का विभाग बदलने से दूर हुई कैप्‍टन सरकार की बड़ी बाधा, अब उठाएगी यह कदम

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू का विभाग बदलने से कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार की एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। यह बाधा थी नई भूजल अथाॅरिटी के गठन की। स्‍थानीय निकाय मंत्री होने के कारण सिद्धू इसका विरोध कर रहे थे। अब सरकार इसका गठन करने की दिशा में कदम उठाएगी। सिद्धू अथॉरिटी के गठन का विरोध कर रहे थे।

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नवजोत सिंह सिद्धू के विरोध के चलते विधानसभा में पेश नहीं हुआ था बिल

बता दें‍ कि देश के कई महानगरों में पीने के पानी के संकट ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर फोकस करने को मजबूर कर दिया है। वहीं, कैप्टन और सिद्धू के विवाद के बीच पंजाब को भी नई भूजल अथॉरिटी मिल सकती है। नवजोत सिंह सिद्धू स्थानीय निकाय महकमे के मंत्री होने के नाते यह आरोप लगाते रहे हैं कि भूजल अथॉरिटी उनके विभाग में हस्तक्षेप है, जिसके चलते यह बिल कई महीनों से रुका हुआ है। अब उनके इस महकमे से हटने व उनकी जगह ब्रहम मोहिंदरा के आने के बाद भूजल अथॉरिटी बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि सिंचाई विभाग ने भूजल अथॉरिटी का बिल आने वाले विधानसभा सेशन में लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

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पंजाब में भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है, जिसको लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वाटर पॉलिसी लाने की बात कही थी। पंजाब किसान आयोग ने यह पॉलिसी तैयार कर ली जिसमें केंद्रीय जल अथॉरिटी की तरह राज्य जल अथॉरिटी बनाने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें न केवल भूजल बल्कि बरसाती और नदियों के पानी को भी रेगुलेट करने की योजना भी है।

पिछले बजट सेशन में सरकार इसका बिल ला रही थी, लेकिन जिस दिन यह बिल पेश होना था, उसी दिन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इसका विरोध कर दिया। लिहाजा यह बिल मौके पर ही वापस ले लिया गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इस बात को लेकर अड़ गए कि यह उनके विभाग में दखलअंदाजी है।

क्या होगा बिल में

इस बिल में शहरों में बरते जाने वाले पानी को रेगुलेट करने, उसकी दरें निश्चित करने आदि का अधिकार अथॉरिटी के पास जाना था। सिद्धू का कहना था कि यह उनके महकमे में दखलअंदाजी है। मुख्यमंत्री ने सिद्धू को मनाने के लिए उनकी अगुवाई में एक कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया और इन्हें इजरायल भेजने का प्रस्ताव रखा, ताकि कमेटी पानी के संकट और उससे निजात पाने के समाधान को सीख सके।

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विभाग का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का यह तर्क सही नहीं है कि वाटर अथॉरिटी किसी के काम में हस्तक्षेप करेगी। अथॉरिटी का काम पानी को मैनेज करना है। इसमें नहरी पानी, बरसाती पानी और भूजल तीनों शामिल हैं। वैसे भी स्थानीय निकाय विभाग के एक्ट में साफ है कि वह केवल पीने के पानी को लोगों को उपलब्ध करवाते हैं। वहां भी पानी सिंचाई विभाग ही नहरों या रजबाहों से भेजता है।

विभाग के अधिक‍ारियों का कहना है कि अगर यह हस्तक्षेप है तो बिजली भी दूसरा विभाग ही लोगों को उपलब्ध करवाता है? यह लोकल बॉडीज की अपनी तो नहीं है। सरकार के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि दरअसल समस्या यह है कि ड्राफ्ट बिल में खेती के लिए उपयोग हो रहे पानी को निकाल दिया है। शहरी सीटों से जुड़े हुए विधायकों और मंत्रियों का लगता है कि वाटर चार्जेस बढ़ाने से शहरी वोट बैंक पर असर होगा। नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर भारत भूषण आशू भी अथॉरिटी बनाने का विरोध कर रहे हैं।

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