कैप्टन सरकार चुनावी रफ्तार पकड़ रही, घोषणा पत्र में किए गए वादे चुनाव से पहले करने का दबाव
Punjab Politics कैप्टन सरकार चुनावी रफ्तार पकड़ रही है। कहीं न कहीं अब उस पर यह दबाव तो है ही कि घोषणा पत्र में किए गए वादे चुनाव से पहले-पहले पूरा करे। बेअदबी जैसे मामलों में दोषियों को सजा दिला पाना तब तक कितना संभव हो पाएगा
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। पंजाब के दो लाख 85 हजार खेत मजदूरों और भूमिहीन किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा करके राज्य सरकार ने एक और चुनावी कदम ही उठाया है। इससे पहले सरकार ने 5.64 लाख किसानों का 4,624 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था। इनमें अधिकतम सीमा दो लाख रुपये तक थी। इस बार क्योंकि कर्जमाफी भूमिहीन किसानों और खेत मजदूरों की है तो जाहिर है कि यह कम कर्ज लेने वाले लोग हैं इसलिए इनके बीस हजार रुपये तक के कर्ज माफ होंगे। वह कर्ज जो इन्होंने सहकारी समितियों वगैरह से ले रखे हैं। इस तरह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने एक चुनावी वादे को पूरा करने की कोशिश की है।
कांग्रेस ने वर्ष 2017 में यह वादा किया था। इसे सरकार पूरी तरह भुनाना भी चाहती है, इसीलिए इस राशि को बांटने के लिए राजीव गांधी की जन्मतिथि 20 अगस्त को राज्य स्तरीय कार्यक्रम किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री चेक बांटेंगे। ऐसे ही कार्यक्रम सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार पत्र देने के लिए आयोजित किए थे। वह भी एक चुनावी वादा था, लेकिन वाकई कितनों को उनकी काबिलियत के मुताबिक रोजगार मिला, कितनों को सरकारी क्षेत्र में नौकरियां मिलीं, यह अलग बात है। सरकार को यह गिनाने के लिए तो हो गया कि उसने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए इतने रोजगार दिए हैं।
जाहिर है कि कैप्टन सरकार चुनावी रफ्तार पकड़ रही है। कहीं न कहीं अब उस पर यह दबाव तो है ही कि घोषणा पत्र में किए गए वादे चुनाव से पहले-पहले पूरा करे। बेअदबी जैसे मामलों में दोषियों को सजा दिला पाना तब तक कितना संभव हो पाएगा, यह तो कुछ कहा नहीं जा सकता, यह सरकार भी भली-भांति जानती है, इसलिए अन्य वादों पर अमल की कवायद तेज हो गई है। हाल ही में कांग्रेस के ही कई विधायकों, मंत्रियों और सांसदों ने खुलकर यह असंतोष भी जताया था कि चुनावी वादे पूरे नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के अंतर्कलह को दूर करने के लिए पार्टी हाईकमान की ओर से गठित कमेटी ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को 18 सूत्रीय एजेंडे पर चुनाव से पहले काम करने को कहा था। इनमें 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने के साथ ही पूर्व सरकार के समय में हुए बिजली समझौतों को रद करने के अलावा छोटे किसानों और खेत मजदूरों की कर्ज माफी का विषय भी था जिसे सरकार ने पूरा करके किसानों की हमदर्द होने का संदेश देने की कोशिश की है।
कर्ज के कारण किसानों की खुदकुशी के मामले खत्म नहीं हुए हैं इसलिए यह चुनावी मुद्दा बन सकता था। वैसे भी पिछले छह माह से किसान जिस तरह सभी के एजेंडे में हैं, उसे देखते हुए वोट बैंक को लुभाने की कोशिश भी यह है।