जोधपुर जेल में नजरबंद कैदियों के मामले में कैप्टन ने केंद्र को घेरा
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिखों को गिरफ्तार करके जोधपुर की जेल में नजरबंद सिखों की मुआवजा राशि जल्द जारी करने की मांग की है।
जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि जोधपुर जेल में नजरबंद रहे सिखों के मामले में यदि केंद्र अपना हिस्सा देने में असफल रहा तो उनकी सरकार 4.5 करोड़ रुपये की राशि के मुकम्मल मुआवजे का भुगतान स्वयं करेगी। कैप्टन ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव के साथ टेलीफोन पर बातचीत करने के बाद यह बात कही है।
मुख्यमंत्री ने नजरबंदियों के लंबे समय के कष्टों के मद्देनजर इस मामले का जल्द से जल्द हल करने की केंद्रीय गृह सचिव से अपील की। जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिखों को गिरफ्तार करके जोधपुर की जेल में नजरबंद कर दिया गया था। नजरबंदियों को अदालत की तरफ से मुआवजा दिए जाने के फैसले के संबंध में मुख्यमंत्री ने उम्मीद ज़ाहिर की कि केंद्र अपना 50 प्रतिशत हिस्सा देने के लिए आगे आएगा।
हाई कोर्ट में दायर अपील वापस लेने की मांग
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा मुआवजे के विरुद्ध पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर की अपील तुरंत वापस लेने के लिए कहा। विदेश गए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की गैरहाजिऱी में मुख्यमंत्री ने यह मुद्दा गृह सचिव के समक्ष उठाया और अमृतसर अदालत की तरफ से दिए गए फैसले के अनुसार केंद्र सरकार से तुरंत मुआवज़े की राशि जारी करने की मांग की।
यह है मामला
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान तकरीबन 300 व्यक्तियों को गिरफ्तार करके जोधपुर जेल में नजरबंद किया गया था। बाद में मार्च 1989 और जुलाई 1991 के बीच तीन चरणों में इन्हें रिहा किया गया था। इनमें से 224 नजऱबंदियों ने 'ग़ैर-कानूनी तौर पर नजऱबंद करने और कष्ट देने' के दोष के अंतर्गत निचली अदालत में मुआवजे के लिए अपील दायर की थी।
इनमें से 40 नजरबंदियों ने अमृतसर की जिला और सेशन कोर्ट में अपील की। अदालत ने बीते साल अप्रैल में प्रति व्यक्ति 4 लाख रुपये मुआवज़ा 6 प्रतिशत ब्याज (अपील दायर करने वाली तारीख़ से) के साथ देने के आदेश दिए। ब्याज सहित कुल मुआवज़ा लगभग 4.5 करोड़ रुपये बनता है। अदालत के आदेश के तहत केंद्र सरकार को मुआवजे का 50 फीसद हिस्सा अदा करना है।
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