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कैप्टन अमरिंदर का बाजवा-दूलों से पुराना है सियासी द्वंद्व, हिसाब चुका रहे हैं दोनों सांसद

पंजाब कांग्रेस में कलह तेज हो गई है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का कांग्रेस के दो सांसदाें प्रताप सिंह बाजवा व शमशेर सिंह दूलों विवाद चरम पर है। इन नेताओं का सियासी द्वंद्व पुराना है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 01:04 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 08:55 AM (IST)
कैप्टन अमरिंदर का बाजवा-दूलों से पुराना है सियासी द्वंद्व, हिसाब चुका रहे हैं दोनों सांसद
कैप्टन अमरिंदर का बाजवा-दूलों से पुराना है सियासी द्वंद्व, हिसाब चुका रहे हैं दोनों सांसद

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब कांग्रेस के दो सीनियर नेता राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों इस समय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आमने-सामने हैं। दोनों खुलकर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। उधर, दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रधान सुनील जाखड़ समेत पूरी कैबिनेट ने इन दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग पार्टी हाईकमान से कर दी है।

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पार्टी की यह आंतरिक लड़ाई कांग्रेस को किस ओर ले जाएगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन यह लड़ाई हाईकमान के लिए नई नहीं है। अंतर केवल भूमिकाओं का है। पहले हमलावर भूमिका में कैप्टन अमरिंदर सिंह हुआ करते थे और पार्टी प्रधान होने के नाते अक्सर शमशेर सिंह दूलों या प्रताप सिंह बाजवा को चुप रहना पड़ता था अब बाजवा और शमशेर दूलों ने हमलावर रुख अपना रखा है।

2006 में जब शमशेर सिंह दूलों पंजाब कांग्रेस के प्रधान थे तो अक्सर उनकी ही अपनी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अनबन रहती थी । 2007 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान टिकटों के वितरण को लेकर दूलों अमरिंदर से खासे नाराज थे। दरअसल कैप्टन लगातार अकाली दल में सेंधमारी करके उनके नेताओं को कांग्रेस में न केवल शामिल कर रहे थे बल्कि उन्हें टिकटें भी दिला रहे थे।

हरमिंदर गिल को कांग्रेस में शामिल करने का तो दूलो ने खुलकर विरोध किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जो लोग आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कारण जेल काटकर आए हैं, उनके लिए कांग्रेस में कोई जगह नहीं है। इसके बावजूद पार्टी हाईकमान ने उनकी नहीं सुनी, गिल को टिकट मिल गया।

इसी तरह जब प्रताप सिेह बाजवा कांग्रेस के प्रधान बने तो उन्होंने भी तब की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहे बिक्रम मजीठिया के खिलाफ मुहिम छेड़ी। वह लगातार इस बात को लेकर धरनों पर बैठे कि ड्रग केस की जांच सीबीआइ को सौंपी जाए। उस समय भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रधान बाजवा की इस मांग पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि ड्रग के केस में सीबीआइ जांच की जरूरत नहीं है, पंजाब पुलिस की जांच ही काफी है। कैप्टन के इस बयान से  बाजवा की ओर से शुरू की गई मुहिम पंक्चर हो गई।

अब स्थितियां बदल गई हैं। अब कैप्टन सीएम बन गए हैं तो इन दोनों नेताओं ने उनकी कारगुजारी पर लगातार सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। यहां तक कि दोनों राज्यसभा सदस्यों ने जहरीली शराब पीने के मामले में राज्यपाल वीपी ङ्क्षसह बदनौर से मिलकर अपनी सरकार द्वारा की जा रही जांच पर अविश्वास जताते हुए इसकी जांच सीबीआइ और ईडी से करने की मांग की। दोनों नेताओं की इस मांग से कांग्र्रेस में ही हलचल मच गई है।

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