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अमरिंदर का पंजाब के विधायकों संग धरना जंतर मंतर पर, सिद्धू व कई विधायकों को दिल्‍ली बार्डर पर रोका

पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदरा सिंह केंद्र सरकार के राज्‍य में मालगाडि़यों का परिचालन बंद करने के विरोध में अब नई दिल्‍ली के राजघाट की बजाय जंतर मंतर पर धरना देंगे। इस एक दिन के सांकेतिक धरने में वह राज्‍य के विधायकों के साथ बैठेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 09:22 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 05:38 PM (IST)
अमरिंदर का पंजाब के विधायकों संग धरना जंतर मंतर पर, सिद्धू व कई विधायकों को दिल्‍ली बार्डर पर रोका
पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह आज केंद्र सरकार के राज्‍य में मालगाडि़यों का परिचालन बंद करने के विरोध में अब नई दिल्‍ली में राजघाट की बजाय जंतर मंतर में धरने दे रहे हैं। यह एक दिन का सांकेतिक धरना राज्‍य के कांग्रेस विधायक दे रहे हैं। इससे पहले पंजाब के विधायक मार्च निकालते हुए जंतर मंतर पर पहुंचे।

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कैप्‍टन अमरिंदर ने कहा कि पंजाब में मालगाडि़यों का परिचालन बंद होने से बड़ा संकट पैदा हो गया है। दूसरी ओर, राज्‍य के विपक्षी दलों शिरोमणि अकाली दल और आम आमदी पार्टी ने कैप्‍टन पर धरना देने को लेकर निशाना साधा है। उधर धरना में भाग लेने जा रहे कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को दिल्‍ली बार्डर पर रोक दिया गया।

इससे पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने बताया था कि सीएम का पंजाब के विधायकों के साथ आज राजघाट पर दिया जाने वाला धरना अब जंतर मंतर पर होगा। धरना स्थल का बदलाव दिल्ली पुलिस के आग्रह पर किया गया है। राजघाट पर सुरक्षा को लेकर कई तरह की पाबंदियां हैं इसलिए धरना स्थल बदल दिया गया है। कैप्टन 12.30 बजे मीडिया से वहां बात करेंगे। उससे पहले वह राजघाट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।

उधर, पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई विधयकों को दिल्ली पुलिस ने दिल्‍ली बॉर्डर पर रोक दिया गया। वे जंतर मंतर पर धरना में शामिल होने जा रहे थे। नवजोत सिद्धू के साथ अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, राजिंदर बेरी, अवतार हैनरी जूनियर और काका लोहगढ़ को दिल्ली-हरियाणा सीमा पर रोका गया।

बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से पंजाब सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर मुलाकात से इन्कार कर दिया था। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई सूचना में कहा गया है कि अभी विधेयक उनके पास नहीं आए हैं और राज्यपाल के पास ही लंबित हैं। ऐसे में मिलने का कोई औचित्य नहीं है। जब यह बिल हमारे पास आ जाएंगे तो मुलाकात के लिए दोबारा समय लिया जा सकता है। दूूूसरी ओर, केंद सरकार ने 7 नवंबर तक पंजाब में मालगाडिय़ों का परिचालन रद करने का फैसला किया।

कैप्टन ने कहा मालगाडि़यां बंद होने के कारण थर्मल प्लाटों में बिजली उत्पादन हुआ बंद

कैप्टन ने कहा कि मालगाडि़यों का परिचालन बंद होने के कारण पंजाब में कोयले की कमी से थर्मल प्लाटों में बिजली उत्पादन बंद है। खाद व डीएपी सहित अन्य जरूरी वस्तुएं पंजाब नहीं पहुंच पा रही हैं। अनाज व सब्जियां अन्य राज्यों को भेजने में भी रुकावट पैदा हो गई है। इन मुद्दों पर केंद्र सरकार का ध्यान दिलाया जाएगा। पंजाब के लिए मालगाडि़यों का परिचालन बहुत जरूरी है लेकिन केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने पंजाब सरकार के बिलों को लेकर मुलाकात के लिए राष्ट्रपति को 21 अक्टूबर को पत्र लिखकर समय मांगा था। कोई जवाब न आने पर 29 अक्टूबर को रिमाइंडर भी भेजा गया था।

उधर, विपक्षी दलों के विधायकों को धरने में शामिल होने की कैप्टन की अपील पर लोक इंसाफ पार्टी के विधायकों सिमरजीत सिंह बैंस व बलविंदर सिंह बैंस धरने में शामिल होंगे। बलविंदर सिंह बैंस ने कहा कि किसानों की भलाई के लिए वह ऐसा कर रहे हैं।

शिरोमणि अकाली दल ने कहा, केंद्र व पंजाब सरकार फिक्स मैच खेल रही हैं

मुख्यमंत्री की ओर से धरने के एलान पर टिप्पणी करते हुए अकाली दल ने कहा कि केंद्र और पंजाब सरकार फिक्स मैच खेल रही हैं। पार्टी के उपप्रधान डा. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बजाए भाजपा प्रधान को पत्र लिखा। कैप्टन को बताना चाहिए कि जब राष्ट्रपति ने उन्हें समय ही नहीं दिया था तो वह विधायकों को अपने साथ क्यों ले जाना चाहते हैं, क्या वह विफलता छुपाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के समक्ष धरना क्यों नहीं देते कैप्टन : मान

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के प्रधान भगवंत मान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से सवाल किया है कि वह राजघाट पर धरना देने का नाटक क्यों कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के समक्ष धरना क्यों नहीं देते। मान ने कहा कि ऐसा ड्रामा करके किसानों के संघर्ष को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। हर कोई समझता है कि कानूनों को वापस लेने का फैसला प्रधानमंत्री के हाथ में है। फिर कैप्टन प्रधानमंत्री से मिलने की बजाए ड्रामा करके किसे बेवकूफ बनाने के लिए कर रहे हैं?


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