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गृह मंत्रालय के बयान पर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की कड़ी टिप्पणी, जानेंं क्या है मामला

गृह मंत्रालय के एक बयान पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर पलटवार किया है। कहा कि सरकार की जांच में न तो यह बात सामने आई कि पंजाब में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही थी और न ही यह कि उन्हें मादक पदार्थ दिए जा रहे हैैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 08:52 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 08:52 PM (IST)
गृह मंत्रालय के बयान पर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की कड़ी टिप्पणी, जानेंं क्या है मामला
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के सीमांत जिलों में दूसरे प्रदेशों के मजदूरों से बंधुआ मजदूरी करवाए जाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय की तरफ से जो पत्र भेजा गया था उसके अनुसार उन 58 लोगों की जांच करवाई गई थी। इसमें न तो यह बात सामने आई की बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही थी और न ही यह कि उन्हें मादक पदार्थ दिए जा रहे हैैं।

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मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब केवल किसानों व पंजाब सरकार को बदनाम करने की कोशिश है। कैप्टन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के 17 मार्च के पत्र को झूठ का पुलिंदा बताते हुए इसे रद कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का पत्र में अबोहर की बात थी, लेकिन अबोहर या फाजिल्का जिले ऐसा कोई भी केस सामने नहीं आया।

कैप्टन ने कहा कि यह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का काम नहीं है कि वह ऐसे मामलों की जांच करे। उसकी जिम्मेदारी सीमा पर संदिग्ध हालात में घूम रहे किसी व्यक्ति को पकड़ कर स्थानीय पुलिस के हवाले करने की है। यह पत्र मीडिया में सार्वजनिक करने से पहले गृह मंत्रालय को तथ्यों की जांच करनी चाहिए थी। सभी 58 मामलों की गहराई से जांच की गई और ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया, जैसे आरोप लगाए गए हैैं।

उन्होंने कहा कि जिन 58 लोगों की बात की गई है उनमें से चार पंजाब के अलग-अलग इलाकों के साथ संबंधित हैं, जबकि तीन मानसिक तौर पर अपाहिज पाए गए। इन तीनों को उनके परिवारों के हवाले कर दिया गया है।उन्होंने कहा कि 16 अन्य दिमागी तौर पर बीमार पाए गए। जिनमें से चार बचपन से ही इस बीमारी से पीडि़त थे। इनमें से एक बाबू सिंह निवासी बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) का तो आगरा से मानसिक इलाज चल रहा था और उसके डाक्टरी रिकार्ड के आधार पर उसे पारिवारिक सदस्यों के हवाले कर दिया गया।

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बीएसएफ की ओर से पकड़े गए तीन व्यक्तियों की पहचान नहीं हुई, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसी मानसिक दशा वाले व्यक्तियों को कृषि के कामों के लिए बंधुआ मजदूर के तौर पर नहीं रखा जा सकता, जबकि गिरफ्तार किए गए 14 अन्य लोग अपनी गिरफ्तारी से कुछ दिन या हफ्ते पहले ही पंजाब आए थे।

क्या है मामला

बीएसएफ द्वारा साल 2019 और 2020 में पंजाब के सरहदी जिलों में से 58 मजदूरों को पकड़े थे। जिसके बाद यह खुलासा हुआ था कि वह पंजाब के किसानों के पास बंधुआ मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को एक पत्र भी लिखा था। जिसमें बताया गया था कि मानव तस्करी सिंडिकेट इन भोले-भाले मजदूरों का शोषण करते हैं और पंजाबी किसान इनसे अपने खेतों में घंटों काम करवाने के लिए इनको नशा देते हैं।

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