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Citizenship amendment bill पर बोले कैप्टन, बिल गैरकानूनी, पंजाब में नहीं करेंगे लागू

Citizenship amendment bill 2019 को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गैरकानूनी बताया। कहा कि उनकी सरकार पंजाब में इसे लागू नहीं करेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 09:07 AM (IST)
Citizenship amendment bill पर बोले कैप्टन, बिल गैरकानूनी, पंजाब में नहीं करेंगे लागू
Citizenship amendment bill पर बोले कैप्टन, बिल गैरकानूनी, पंजाब में नहीं करेंगे लागू

जेएनएन, चंडीगढ़। नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship amendment bill 2019) को भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर सीधा हमला बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार इस कानून को राज्य में लागू करनेे की इजाजत नहीं देगी। कैप्टन नेे कहा, कांग्रेस पार्टी के पास राज्य विधानसभा में बहुमत है। सरकार विधानसभा में इस गैरकानूनी बिल को रोक देगी। राज्यसभा मेें बिल के पास होने से एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचा गिराने नहीं देगी। 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद को ऐसा कानून पास करनेे का कोई अधिकार नहीं है जो संविधान को संविधान के प्राथमिक सिद्धांतों और देश के लोगों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता हो। उन्होंने बिल को गलत बताते हुए इसेे रद करने की मांग की। कैप्टन ने कहा कि यह बिल मुल्क को धर्म के आधार पर बांटता है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनी हुई सरकार का यह फर्ज बनता है कि वह संविधान का पालन करे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने कार्यकाल में संविधान का उल्लंघन नहीं करेंगे। सीएम ने कहा, जब हम मुल्क को प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाने और इसके नागरिकों को न्याय, बराबरी और आज़ादी का भरोसा देने का ऐलान किया है तो भारत की आबादी के बड़े वर्ग को सुरक्षा से एक तरफ़ कैसे छोड़ा जा सकता है। नागरिकता को कानून के साथ जोड़ कर नागरिकता संशोधन बिल मुल्क की नींव पर ज़ोरदार हमला है।''

मुख्य मंत्री ने कहा, ''यदि दूसरे मुल्क भी ऐसे कानून लाने का फ़ैसला कर लेंं तो वहां बड़ी संख्या में बस रहे भारतीयोंं का क्या बनेगा, जिन्होंने नागरिकता भी हासिल की हुई है। इन भारतीयोंं के साथ क्या घटेगा यदि वह मुल्क यह फ़ैसला लेंं कि उनके धार्मिक विश्वास के आधार पर उनकी नागरिकता वापस ले ली जाये।'' कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को संसद में इस बिल को पास कराने के बजाय मसले पर सभी पार्टियों के साथ परामर्श करना चाहिए था और यदि भारत और यहांं के लोगों के हित में ऐसे कानून की ज़रूरत महसूस होती तो इस पर आम सहमति पैदा करनेे की कोशिश की जाती।

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